गोपीनाथ जी का मंदिर, Gopinath Ji Ka Mandir
श्रीमाधोपुर में गोपीनाथजी का मंदिर अपनी प्राचीनता एवं वास्तु शैली के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर की नींव कस्बे की स्थापना के समय ही अक्षय तृतीया के दिन 1761 ईस्वी (विक्रम संवत् 1818) में रखी गई.
मंदिर के निर्माण कार्य में लगभग छः वर्ष का समय लगा था एवं मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा अक्षय तृतीया के दिन 1767 ईस्वी (विक्रम संवत् 1824) में संपन्न हुई.
गोपीनाथजी की मूर्ति वृन्दावन से लाई गई थी एवं गोपीनाथ जी की भव्य मूर्ति को काशी के पंडितों ने मंत्रोच्चार के साथ प्रतिष्ठित किया.
Gopinath temple architecture
इस मंदिर के निर्माण में उच्च कोटि के कारीगरों तथा शिल्पकारों का बहुत योगदान रहा है तथा मंदिर वास्तुकला का एक बेजोड़ उदहारण है. मंदिर में कई शैलियों के भित्ति चित्र उकेरे गए जो ढूँढाड, जयपुरी तथा किशनगढ़ शैलियों से प्रभावित थे क्योंकि उस वक्त इन्ही शैलियों का चलन अधिक था.
मंदिर के गर्भगृह, बारादरी तथा सत्संग भवन आदि के निर्माण में सफेद संगमरमर का बहुतायत से इस्तेमाल हुआ है. मंदिर के निर्माण में आने वाला सारा खर्च गुढा गौडजी के चतुर मन्नाका नामक भामाशाह ने उठाया.
Gopinathji as King of shrimadhopur
मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण होने के पश्चात जयपुर के राजा माधव सिंह द्वितीय ने गोपीनाथ जी को “श्री गोपीनाथ राजा” घोषित करके श्रीमाधोपुर कस्बे के साथ-साथ फुसापुर तथा हाँसापुर के राजपूत जागीरदारों को भी इनके अधीन कर दिया.
उसी वक्त से श्री गोपीनाथ जी को श्रीमाधोपुर नगर के राजा एवं आराध्य देव के रूप में पूजा जाता है. ज्ञातव्य है कि गोपीनाथजी सभी शेखावत राजपूतों के आराध्य देवता रहे हैं.
मंदिर की सेवा पूजा तथा देखरेख श्री ब्रह्म मध्व गौड़ीय सम्प्रदाय की परम्पराओं के अनुसार करने के लिए वृन्दावन दास जी को प्रथम महंत नियुक्त किया गया.
Mahants of gopinath mandir
वृन्दावन दास जी के पश्चात श्यामदास जी, धर्मदास जी, बलराम दास जी, देवदास जी, रामदास जी, गोपालदास जी, नारायणदास जी, रघुनाथदास जी, जगदीशदास जी तथा मनोहरदास जी ने महंत बनकर मंदिर की सेवा करने का जिम्मा उठाया.
Festivals in gopinath mandir
मंदिर में सभी उत्सव तथा त्यौहार भाईचारे तथा हर्षौल्लास के साथ मनाये जाते हैं. मनाये जाने वाले प्रमुख उत्सवों में जगन्नाथ रथयात्रा, शरद पूर्णिमा, अन्नकूट, गीता जयंती, विवाह पंचमी, नवरात्रि समारोह, अक्षय तृतीया, निर्जला एकादशी, राधाष्टमी, होली, बसंत पंचमी, फागोत्सव तुलसी शालिग्राम विवाह आदि प्रमुख है.
Jagannath rathyatra from gopinath mandir
उपरोक्त उत्सवों में जगन्नाथ रथयात्रा सर्वप्रमुख तथा अत्यंत प्रसिद्ध है. यह रथयात्रा जगन्नाथ पुरी की जगन्नाथ रथयात्रा की तर्ज पर उसी दिन निकाली जाती है इसमें भगवान गोपीनाथ के रथ को सम्पूर्ण नगर में घुमाया जाता है.
रथयात्रा के समय अपार जनसमूह उमड़ता है जिसकी वजह से नगर एक धार्मिक नगरी के रूप में प्रतीत होता है.
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Ramesh Sharma {M Pharm, MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA, CHMS}
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