इस बावड़ी में लगी है हजार वर्ष पुरानी प्रतिमाएँ - Kalibay Baori Khandela in Hindi

इस बावड़ी में लगी है हजार वर्ष पुरानी प्रतिमाएँ - Kalibay Baori Khandela in Hindi, इसमें खंडेला की कालीबाय बावड़ी के बारे में जानकारी दी गई है।

Kalibay Baori Khandela in Hindi

{tocify} $title={Table of Contents}

सीकर जिले का खंडेला कस्बा अपने गोटा उद्योग एवं ऐतिहासिक धरोहरों के कारण सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध है।

हजारों वर्ष पुराने इस कस्बे ने अपने आगोश में कई ऐतिहासिक विरासतों को छुपा कर रखा है। इन धरोहरों में बावडियों का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।

किसी समय खंडेला में कुल 52 बावडियाँ हुआ करती थी जिसकी वजह से इसे बावन बावडियों वाला खंडेला या बावडियों का शहर कहा जाता था।

इन बावडियों में कालीबाय, बहूजी, सोनगिरी, मूनका, पलसानिया, मांजी, द्रौपदी, पोद्दार, काना, लाला, द्वारकादास आदि के नाम प्रमुखता से लिए जाते हैं।

आज हम कालीबाय की बावड़ी के सम्बन्ध में चर्चा करेंगे।

यह बावड़ी खंडेला से लगभग डेढ़ किलोमीटर दक्षिण दिशा में पलसाना रोड पर स्थित है। बावड़ी का निर्माण कार्य अग्रवाल गर्ग गोती कोल्हा के पुत्र पृथ्वीराज एवं उसके पुत्र रामा और बाल्हा ने करवाया था।

पंडित झाबरमल शर्मा ने इस बावड़ी से प्राप्त एक शिलालेख के अनुसार बताया कि इस बावड़ी का निर्माण कार्य संवत् 1575 फागुन सुदी 13 से शुरू होकर विक्रम संवत 1592 जेठ सुदी को पूरा हुआ था।


इस प्रकार इस बावड़ी के निर्माण कार्य में कुल 17 वर्षों का समय लगा था। उस समय खंडेला पर निर्बाण राजाओं का शासन था एवं तत्कालीन शासक का नाम रावत नाथू देव निर्बाण था।

जब बावड़ी का निर्माण कार्य शुरू हुआ तब दिल्ली पर सुल्तान इब्राहीम लोदी का शासन था एवं जब निर्माण कार्य पूर्ण हुआ तब दिल्ली पर बादशाह हुमायूँ का शासन था।

इस प्रकार इस बावड़ी के निर्माण कार्य के दौरान दिल्ली पर तीन शासकों ने शासन किया। दिल्ली में सत्ता परिवर्तन भी हुआ एवं सत्ता की बागडोर अफगानों से मुगलों के हाथ में आ गई। सुलतानों की जगह बादशाह शासक बन गए।

सीकर स्थित हरदयाल संग्रहालय की क्यूरेटर धर्मजीत कौर के अनुसार इस बावड़ी की दीवारों पर 8वीं शताब्दी की प्रतिमाएँ लगी हुई है। धर्मजीत कौर के इस कथन के बाद बावड़ी के और भी अधिक प्राचीन होने के कयास लगाए जा रहे हैं।

देखने में यह बावड़ी आयताकार रूप में लगभग चार या पाँच मंजिला गहरी प्रतीत होती है। बावड़ी के पीछे की तरह एक कुआँ बना हुआ है। बावड़ी के अवशेषों को देखकर इसकी स्थापत्य कला का अंदाजा लगाया जा सकता है।

बावड़ी को देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि अपने उपयोग के समय यह बहुत से लोगों की प्यास भी बुझाती होगी।

हमारे पुरखों ने जिस जतन और प्यार से इस बावड़ी को संजोकर रखा था, हम उससे दुगने जतन से इसे नष्ट करने में लगे हुए हैं।

वर्तमान में इस बावड़ी की हालत अत्यंत दयनीय है। स्थानीय निवासियों ने इसे कूड़ादान बना दिया है। इसके अन्दर जाने का रास्ता भी पूरी तरह से अवरुद्ध है।

लगता है कि अब वह दिन दूर नहीं है जब हमारे पुरखों की ये अनमोल निशानी, इनके प्रति हमारे बेरुखेपन और लापरवाही की वजह से जमींदोज हो जाएगी।

राजस्थान सरकार द्वारा प्रकाशित सुजस पत्रिका के सितम्बर 2017 के अंक में पेज नंबर 48-49 पर इस बावड़ी को जगह दी गई है।

कालीबाय बावड़ी की मैप लोकेशन - Map Location of Kalibay Baori



कालीबाय बावड़ी का वीडियो - Video of Kalibay Baori



डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें क्योंकि इसे आपको केवल जागरूक करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। मैं अक्सर किसी किले, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरने, पहाड़, झील आदि के करीब चला जाता हूँ। मुझे अनजाने ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी देने के साथ ऐसी छोटी कविताएँ लिखने का भी शौक है जिनमें कुछ सन्देश छिपा हो। इसके अलावा, एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे डिजीज, मेडिसिन्स, लाइफस्टाइल और हेल्थकेयर आदि के बारे में भी जानकारी है। अपनी शिक्षा और शौक की वजह से जो कुछ भी मैं जानता हूँ, मैं उसकी जानकारी ब्लॉग आर्टिकल और वीडियो के माध्यम से सभी को देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर मेरे आर्टिकल पढ़ सकते हैं, साथ ही सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर @ShriMadhopurWeb पर फॉलो भी कर सकते हैं।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने