चार लाइन की हिंदी कविताएँ - Four Line Poems in Hindi

Four Line Poems in Hindi, इसमें रमेश शर्मा द्वारा लिखित अलग अलग मूड की चार लाइन की अनेक हिंदी कविताएँ शामिल की गई हैं।

Four Line Poems in Hindi

चार लाइन की हिंदी कविताओं के बोल - Lyrics of Four Line Poems in Hindi


1. जब चाहिए था आपका साथ, साथ तो देते
मांगा था जब आपका हाथ, हाथ तो देते
मंजिल की तलाश तो मैं अकेले ही कर लेता
आप मंजिल पाने के हालात तो देते।

2. निर्णय लेने से पहले सोचते तो सही
कौन सही है, कौन गलत है, तोलते तो सही
शिकायत बिल्कुल भी नहीं होती आपसे अगर
आप कभी मेरे मन को टटोलते तो सही है।

3. मानता हूँ कि गलतियों का पुतला हूँ मैं,
नहीं कहता कि दूध का धुला हूँ मैं,
दाने की तलाश में निकला वो पंछी हूँ मैं,
जो ख्वाहिशों के लिए शिकार हो गया।

4. माना कि बड़ा मगरूर हूँ मैं
छोटी सी बात का बड़ा कसूर हूँ मैं
अगर तुम्हारा नजरिया होता सच्चाई भरा
जान जाते कि फिर भी बेकसूर हूँ मैं।

5. कई बार मन करता है कि ये दुनिया छोड़कर चला जाऊँ
क्या करूँ, उसका साथ निभाने की कसम जो खाई है
कैसे उसका भरोसा तोड़कर चला जाऊँ इस दुनिया से
जो सिर्फ मेरे भरोसे पर सब कुछ छोड़कर चली आई है।

6. साथ ना होकर भी लगे, जैसे हमेशा उसका साथ हो
सितारा बनकर राह दिखाए, चाहे जैसी अंधेरी रात हो
कितनी भी दूर रहे लेकिन, जरूरत के समय हमेशा
ऐसा लगे जैसे कंधे पर सहारा देता उसका हाथ हो।


7. जो गुजर गया उसे छोड़, अब तो नया आएगा
जो अब तक ना कर सका, शायद इस साल कर पायेगा
उम्मीद पर दुनिया कायम है मेरे दोस्त
खुद पर भरोसा रख, इस बार तेरा भी वक्त आएगा।

8. जब भी आपका मन उदास है
 ऐसे में टपरी की चाय बड़ी खास है
चाय के साथ बेफिक्र गपशप,
कभी ना भूलने वाला एहसास है।

9. सफर की शुरुआत है बचपन
सफर के अंत तक चलना चाहिए
जब भी कभी मौका मिले हमें
बच्चा बनकर जी लेना चाहिए।

10. जिंदगी है दो पल की
बाहर निकल कर दुनिया निहार ले
पता नहीं कौनसी साँस आखिरी है
कुछ दिन तो पहाड़ों में गुजार ले।

11. टपरी पर बैठकर चाय का प्याला
दोस्तों का साथ बनाता इसे मतवाला
चाय के साथ बेतुकी अल्हड़ गपशप
जीवन के सफर में लाती है उजाला।

12. सहारा छूटने पर जिंदगी ऐसे ही गोते खाती है
जैसे कोई कटी हुई पतंग आसमान में लहराती है
दोनों की ही किस्मत है अब ऊपरवाले के हाथों में
किसी को मंजिल मिलती है, कोई भटकती रह जाती है।

13. अगर ऐसे ही छलनी करते रहे नदियों का सीना
वो दिन दूर नहीं जब हो जाएगा मुश्किल जीना
तरस जाओगे बूंद-बूंद पानी के लिए एक दिन
नहीं मिलेगा पानी बहाना चाहे जितना पसीना।

14. जब हम बच्चों को पढ़ाएँगे ही नहीं मुगल
फिर कोई क्यों करेगा इनके बारे में गूगल
इस तरह हमने इनका अस्तित्व मिटा दिया
पुराना बदला लेकर इनको धूल चटा दिया।

15. वो सोचते हैं कि अकड़ उनमें बहुत है
हम सोचते हैं, कम तो हम भी नहीं हैं
धीरे धीरे ये किस्सा पुराना हो गया
इस तरह एक रिश्ता अफसाना हो गया।

16. दुनिया की बुरी नजरों से बचकर
जन्मदाता की छत्रछाया में छुपी थी
उसे क्या पता था कि ये कलयुग है
जिसमें रक्षक ही भक्षक बन जाता है।

17. आखिर आ ही गया है अब, उम्र का वो दौर
जिसमें है अकेलापन, और वीरानगी चारों ओर
तेरा साथ आज भी बाँधे रखता है मुझे
वरना अब तक टूट ही जाती पतंग की डोर।

18. चार दिन की जिंदगी में
चार लोगों की फिक्र कर करके
परलोक सुधारने, चारधाम यात्रा करके
चार कंधों पर सवार होकर निकल लिए।

19. सिस्टम की वजह से लोगों के घरों के चिराग बुझ गए
लेकिन वो फिर भी वो अपने स्वागत में बाजे बजवाते रहे
किसी के घर नहीं जला चूल्हा, किसी का छिन गया निवाला
ऐसी क्या मजबूरी थी साहब, जो आज ही पहननी थी माला।

20. प्यार में कोई बनता है शायर
तो कोई बनता है चित्तचोर
पत्नी ने जब आईफोन माँगा
तो पति बन गया चेन चोर।

21. ये क्या दौर है
ये क्या हो रहा है
जवानी में क्यों
नौजवान सो रहा है।

22. भारत में गुरुकुल की सस्ती और सुलभ शिक्षा
सदियों से भारत की अमानत है
फीस ना चुका पाने पर किसी को मरना पड़े
तो ये किसी और पे नहीं भारत पर ही लानत है।

23. कहते हैं, पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इण्डिया
पढ़ाई हम इंडियन का अधिकार है
जब पढ़ाई ही मौत का कारण बन जाए
फिर क्यों ना कहें कि ये तो व्यापार है।

24. पढ़ेगा इंडिया तो ही आगे बढ़ेगा इण्डिया
पढ़ने का हम सबको अधिकार है
पैसे की तंगी से गर कोई पढ़ ना पाए
तो क्यों ना कहें कि ये तो व्यापार है।

25. वो लूटने आए और बादशाह बन गए
हिंदुस्तान लूटकर शहंशाह ऐ हिंद बन गए
फिर एक दिन इस जमीन में ही दफन हो गए
उस दौर के बादशाह इस दौर में केवल कफन हो गए।

26. गाँव के लोगों को गरीब समझने वालों
इनकी रईसी को तुम अफोर्ड नहीं कर पाओगे
ये तो शेव भी बनवाते हैं ऐसी जगह
जिसके बारे में तुम कभी सोच भी नहीं पाओगे।

27. मेरे गाँव की गलियाँ
आज भी मुझे बुलाती हैं
जिनमें बीता मेरा बचपन
उसकी याद दिलाती हैं।

अस्वीकरण (Disclaimer):

इस कविता की समस्त रचनात्मक सामग्री रमेश शर्मा की मौलिक रचना है। कविता में व्यक्त विचार, भावनाएँ और दृष्टिकोण लेखक के स्वयं के हैं। इस रचना की किसी भी प्रकार की नकल, पुनर्प्रकाशन या व्यावसायिक उपयोग लेखक की लिखित अनुमति के बिना वर्जित है।
रमेश शर्मा

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील, हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। इसके साथ मुझे अलग-अलग एरिया के लोगों से मिलकर उनके जीवन, रहन-सहन, खान-पान, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानना भी अच्छा लगता है। साथ ही मैं कई विषयों के ऊपर कविताएँ भी लिखने का शौकीन हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख

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