खाटू श्याम मंदिर के मुख्य उत्सव - Khatu Shyam Festival

खाटू श्याम मंदिर के मुख्य उत्सव - Khatu Shyam Festival, इसमें खाटू श्याम मंदिर के प्रमुख त्योहारों जैसे लक्खी मेला, रथयात्रा, जन्मदिन की जानकारी है।

Khatu Shyam Festival


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खाटू श्याम मंदिर में मुख्यतया फागोत्सव (फाल्गुन लक्खी मेला), जन्मोत्सव और प्रत्येक शुक्ल पक्ष की एकादशी और द्वादशी को त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

कार्तिक शुक्ल एकादशी को जन्मोत्सव और फाल्गुन शुक्ल एकादशी को फागोत्सव (फाल्गुन लक्खी मेला) का आयोजन होता है।

इसके अलावा शुक्ल पक्ष की एकादशी और द्वादशी के साथ और भी कई त्योहारों का आयोजन किया जाता है।

खाटू श्याम जी का फाल्गुन लक्खी मेला - Falgun Lakhmi Fair of Khatu Shyam Ji


फाल्गुन मेला राजस्थान का सबसे बड़ा त्योहार है। फाल्गुन सुदी एकादशी को बाबा श्याम का शीश प्रकट हुआ था, इसलिए मेले का आयोजन वास्तव में उसी महीने की 9वीं से 12वीं तक किया जाता है।

फाल्गुन मेले के दौरान विशेष निशान यात्रा का आयोजन किया जाता है। यह पवित्र यात्रा रींगस से शुरू होती है जो खाटू धाम से 19 किलो मीटर दूर है। इस यात्रा में श्याम जी के भक्त हाथों में निशान (ध्वज) लेकर मंदिर तक जाते हैं।

विशेष भजन संध्या का आयोजन किया जाता है जहां प्रसिद्ध भजन गायक आते हैं और भक्तों का आध्यात्मिक मनोरंजन करते हैं। बाबा के भक्त भक्ति में खो जाते हैं और डीजे पर डांस भी करते हैं।

कुछ भक्त गुलाल से खेलते हैं और श्याम जी बाबा की मंत्रमुग्ध प्रार्थना में खुद को मुक्त कर लेते हैं। मेले के अंतिम दिन बाबा के लिए खीर और चूरमा का विशेष प्रसाद बनाया जाता है जिसे बाद में सभी भक्तों को दिया जाता है।

बाबा श्याम की रथ यात्रा - Baba Shyam's Rath Yatra


फाल्गुन के महीने में लक्खी मेले के समय शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भक्तों को दर्शन देने के लिए बाबा श्याम रथयात्रा के रूप में नगर भ्रमण पर निकलते हैं।


पूरे वर्ष में सिर्फ एक यही दिन होता है जब आप बाबा श्याम के दर्शन मंदिर के बाहर भी कर सकते हो। इस दिन के अलावा बाकी सभी दिन श्रद्धालुओं को बाबा के दर्शन के लिए मंदिर में जाना पड़ता है।

श्याम बाबा का जन्मदिन - Shyam Baba's Birthday


बाबा श्याम का जन्म कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष के 11वें दिन हुआ था इसलिए कार्तिक शुक्ल एकादशी को श्याम जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्तजन बाबा के दरबार में इकट्ठे होते हैं और केक भी काटते हैं।

एकादशी (ग्यारस) और द्वादशी (बारस) का मेला - Fair on Ekadashi (Gyaras) and Dwadashi (Baras)


एकादशी और द्वादशी एक उत्सव है जिसे इस तथ्य के कारण महत्व मिला है कि श्री श्यामजी का जन्म कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष के 11वें दिन हुआ था।

द्वादशी एक उत्सव है जहां श्री श्यामजी ने महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण को अपना सिर "शीश" दान किया था।

लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। मैं अक्सर किसी किले, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरने, पहाड़, झील आदि के करीब चला जाता हूँ। मुझे अनजाने ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी देने के साथ ऐसी छोटी कविताएँ लिखने का भी शौक है जिनमें कुछ सन्देश छिपा हो। इसके अलावा, एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे डिजीज, मेडिसिन्स, लाइफस्टाइल और हेल्थकेयर आदि के बारे में भी जानकारी है। अपनी शिक्षा और शौक की वजह से जो कुछ भी मैं जानता हूँ, मैं उसकी जानकारी ब्लॉग आर्टिकल और वीडियो के माध्यम से सभी को देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर मेरे आर्टिकल पढ़ सकते हैं, साथ ही सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर @ShriMadhopurWeb पर फॉलो भी कर सकते हैं।

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