कई युद्धों का गवाह देबारी दरवाजा - Debari Darwaza Udaipur

कई युद्धों का गवाह देबारी दरवाजा - Debari Darwaza Udaipur, इसमें उदयपुर के पास देबारी घाटी में महाराणा उदय सिंह द्वारा बनवाए गए दरवाजे की जानकारी है।

Debari Darwaza Udaipur

उदयपुर की पूर्वी दिशा में यानी चित्तौड़ की तरफ से उदयपुर में प्रवेश के लिए एक दरवाजा बना है जिसे देबारी दरवाजा कहा जाता है।

यह दरवाजा चित्तौड़गढ़ से नाहरा मगरा होते हुए उदयपुर शहर में आने का एकमात्र रास्ता है। इस जगह पर दरवाजा बनाने का मुख्य कारण यह है कि पुराने समय में उदयपुर पर ज्यादातर आक्रमण चित्तौड़ की तरफ से ही हुआ करते थे।

जब महाराणा उदय सिंह ने चित्तौड़ को छोड़कर उदयपुर की स्थापना की, तब उन्होंने इसे सुरक्षित रखने के लिए देबारी के घाटे में इस दरवाजे के साथ एक मजबूत परकोटा भी बनवाया।

उस समय इस पूर्वी दरवाजे की सुरक्षा का जिम्मा देवड़ा सरदारों के हाथ में हुआ करता था। यह दरवाजा अकबर, जहांगीर और औरंगजेब के साथ युद्ध में दो बार तोड़ दिया गया जिसे महाराणा राज सिंह ने वापस बनवाया।

बताया जाता है कि रियासतकाल में इस दरवाजे में एक छोटी बारी यानी खिड़की हुआ करती थी जिस वजह से इसे देवबारी कहा जाता था। जैसे-जैसे समय गुजरता गया यह दरवाजा देवबारी से देबारी हो गया।

एक किवदंती के अनुसार जब महाराणा प्रताप को उबेश्वर में मुगलों ने घेरने की कोशिश की, तब उबेश्वर महादेव का शिवलिंग बीच में से फट गया और उसमें से मधुमक्खियों ने निकलकर मुगलों पर आक्रमण करके उन्हें देबारी दरवाजे के बाहर तक भगा दिया।

उसके बाद इन मधुमक्खियों ने देबारी के इस दरवाजे पर ही छत्ता बनाकर रहना शुरू कर दिया। आज भी आपको इस दरवाजे के आसपास मधुमक्खियों के कई छत्ते दिख जाएँगे।



लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

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रमेश शर्मा

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील – हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख सकते हैं: ramesh3460@gmail.com

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