श्रीमाधोपुर का गढ़ - Shrimadhopur Garh in Hindi, इसमें श्रीमाधोपुर की स्थापना के समय बने गढ़ के निर्माण और इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।
श्रीमाधोपुर नगर की स्थापना जयपुर राज दरबार के प्रधान दीवान नोपपुरा निवासी खुशाली राम बोहरा ने वर्ष 1761 में वैशाख शुक्ल तृतीया (अक्षय तृतीया) को चौपड़ बाजार में स्थित प्राचीन शिवालय के पास खेजड़ी का पेड़ लगा कर की थी।
बड़े आश्चर्य की बात है कि 260 वर्षों से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी यह खेजड़ी का पेड़ आज भी अपने स्थान पर अडिग खड़ा होकर श्रीमाधोपुर की स्थापना की गवाही दे रहा है।
श्रीमाधोपुर की स्थापना के समय पर ही नगर के चारों तरफ परकोटा तथा उसके लिए चारों दिशाओं में बारह बुर्ज और चार विशाल दरवाजों का निर्माण करवाया जाना तय हुआ था लेकिन हकीकत में इनमें से कुछ बुर्ज और कुछ दरवाजे ही बन पाए।
नगर की स्थापना के कार्य को सबसे पहले श्री गोपीनाथजी का मंदिर, गढ़, पंडित खुशाली राम मिश्र की हवेली तथा चौपड़ में बड़ा शिवालय आदि के निर्माण कार्य को प्रारंभ करवाकर शुरू किया गया।
आज हम श्रीमाधोपुर नगर की स्थापना के समय के बने हुए गढ़ के विषय में बात करते हैं। यह गढ़ श्रीमाधोपुर कस्बे में गोपीनाथजी के मंदिर के पास में बना हुआ है।
वर्तमान में इस गढ़ के अन्दर लड़कियों का 12th क्लास तक का सरकारी स्कूल चल रहा है। कुछ वर्षों पहले तक इसमें लड़कों का 10th तक का सरकारी स्कूल चल रहा था जिसे गढ़ स्कूल के नाम से ही जाना जाता था।
गढ़ के अन्दर स्कूल का संचालन कब से हो रहा है इसके बारे में किसी को भी अधिक पता नहीं है लेकिन ऐसे बुजुर्ग लोग जो अभी जीवित है, वो बताते हैं कि उन्होंने भी इस स्कूल से पढ़ाई की है।
बुजुर्गों की इस बात से हम अंदाजा लगा सकते हैं कि गढ़ के अन्दर स्कूल का संचालन निश्चित रूप से आजादी के पहले से ही हो रहा है।
इस गढ़ को किस उद्देश्य से बनाया गया था? इसमें कौन रहा करता था? यह गढ़ आज जितना दिखता है उतना ही बनना था या पूरा नहीं बन पाया, ये कुछ ऐसे प्रश्न है जिनके बारे में किसी को पता नहीं है।
कुछ लोग बताते हैं कि इस गढ़ को एक चौकी के रूप में उपयोग में लेने के लिए बनाया गया था और गढ़ के अन्दर जयपुर राज दरबार की सेना के ऊँट और घोड़े बंधा करते थे।
गढ़ के निर्माण के बारे में अगर बात करें तो यह दो मंजिला गढ़ स्क्वायर शेप में बना हुआ है जिसके चारों कोनों पर गोलाकार आकृति में चार बुर्ज बने हुए हैं।
गढ़ और बुर्ज की दीवारें काफी मोटी है जिनमें बाहरी आक्रमण के समय उसका मुकाबला करने के लिए अन्दर से बन्दूक चलाने के लिए होल बने हुए हैं।
गढ़ के अन्दर एक बड़ा चौक बना हुआ है जिसमें उसी समय का एक कुआँ बना हुआ है क्योंकि पानी की व्यवस्था किसी भी गढ़ के निर्माण के समय सबसे पहले की जाती थी। साथ ही चौक में हनुमान जी का एक मंदिर भी बना हुआ है।
आज किसी को भी श्रीमाधोपुर के इस गढ़ के इतिहास के बारे में अधिक पता नहीं है लेकिन यह गढ़ आज से कुछ वर्षों पूर्व तक इसमें पढ़ी उस जनरेशन के लिए एक यादगार है जिसके बचपन की कई खट्टी मीठी यादें इसके साथ जुड़ी हैं।
अब गढ़ में चलने वाले स्कूल का नाम भले ही बदल गया हो लेकिन यह पीढ़ी आज भी इसे गढ़ स्कूल के नाम से ही जानती है। अगर हम गौर से देखें तो पाएँगे कि श्रीमाधोपुर क्षेत्र के 25-30 वर्ष से ज्यादा उम्र के लगभग सभी लोग इसी गढ़ स्कूल में पढ़े हुए हैं।
इस गढ़ स्कूल से पढ़े हुए स्टूडेंट्स में से कई राजनेता बन गए, कई बड़े सरकारी अधिकारी बन गए, कई डॉक्टर और इंजीनियर बन गए और कई लोग फ़ौज और पुलिस में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
आज भी गढ़ स्कूल में पढ़ा व्यक्ति, दुनिया के किसी भी कोने से जब श्रीमाधोपुर कस्बे में कदम रखता है तो उसे अपना बचपन जरूर याद आ जाता है, विशेषकर वो फिसल पट्टी, जो कई दशकों से उसी रूप में बच्चों का मनोरंजन कर रही है।
श्रीमाधोपुर के गढ़ का वीडियो - Video of Shrimadhopur Garh
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