चेतक ने ऐसे पार किया 22 फीट का नाला - Chetak Naala Haldighati in Hindi

चेतक ने ऐसे पार किया 22 फीट का नाला - Chetak Naala Haldighati in Hindi, इसमें महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक द्वारा 22 फीट का नाला पार करने की जानकारी है।

Chetak Naala Haldighati in Hindi

जब-जब महाराणा प्रताप का नाम लिया जाता है तब-तब उनके साथ उनके घोड़े चेतक का नाम भी जरूर लिया जाता है। चेतक वही स्वामीभक्त घोड़ा था जिसने महाराणा प्रताप के प्राण बचाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था।

इसी ने हल्दीघाटी के युद्ध के मैदान से निकल कर पास के पहाड़ों में 22 फीट चौड़े नाले को एक छलांग में पार करके महाराणा प्रताप को सुरक्षित जगह पर पहुँचाया।

इसी चेतक की याद में हल्दीघाटी की युद्ध भूमि से कुछ किलोमीटर की दूरी पर बलीचा नाम की जगह पर चेतक की समाधि बनी हुई है जिसे चेतक स्मारक या चेतक चबूतरा के नाम से जाना जाता है।

इस समाधि को खुद महाराणा प्रताप ने अपनी निगरानी में एक स्मारक के रूप में बनवाया था। यह समाधि, प्राचीन महादेव के मंदिर के बगल में बनी हुई है।

यहाँ से पास में ही वह नाला है जिसे चेतक ने महाराणा प्रताप को अपनी पीठ पर बिठाकर एक छलांग में पार किया था। अब इस नाले को हल्दीघाटी नाला भी कहा जाता है।

इस नाले की चौड़ाई लगभग 22 फीट है। पानी ना बहने और कंटीले पेड़ों और झाड़ियों की वजह से यह नाला अब नाले जैसा नहीं लगता है। यह एक खाई जैसा दिखाई देता है।

नाले में नीचे थोडा आगे जाने पर आपको थोडा-थोडा पानी बहता हुआ अब भी नजर आ जाता है। बारिश के मौसम में यह पानी बढ़कर एक छोटे बरसाती नाले जैसा रूप ले लेता है।

पुराने समय में यह नाला अधिकतर समय बहते रहता था। जब बारिश हो जाती थी तब इसमें काफी पानी आ जाता था जिस वजह से यह बहुत तेजी से बहने लग जाता था।

18 जून 1576 के दिन, जब हल्दीघाटी का युद्ध हुआ था, उस दिन भी काफी तेज बारिश हुई थी, जिस वजह से यह नाला बहुत चौड़ा होकर तेजी से बहने लग गया था।

बारिश के पानी की वजह से युद्ध भूमि में बहे रक्त ने भी पानी में मिलकर एक तालाब का रूप ले लिया था जिसे रक्त तलाई कहा जाता है।


युद्ध में कुछ ऐसा हुआ था कि युद्ध भूमि में मानसिंह के हाथी की सूंड पर लगी तलवार से चेतक की एक टांग कट गई थी लेकिन फिर भी चेतक महाराणा को लेकर युद्ध में दौड़ता रहा।

बाद में जब युद्ध नीति के तहत जब महाराणा युद्ध से निकल रहे थे तब कुछ मुग़ल सैनिक उनके पीछे लग गए।

चेतक महाराणा प्रताप को लेकर दौड़ते-दौड़ते इस नाले तक आया और बिना कुछ संकोच किये एक छलांग में 22 फीट चौड़े नाले को पार कर गया।

नाले को पार करने के बाद वह कुछ दूरी पर एक इमली के पेड़ के पास जाकर गिर पड़ा और अपने प्राण त्याग दिए। इस इमली के पेड़ को खोड़ी इमली के नाम से जाना जाता है।

महाराणा प्रताप को सुरक्षित जगह पहुँचाकर चेतक इतिहास में ऐसा अमर हुआ कि आज जब भी कहीं महाराणा प्रताप का नाम आता है तो उनके साथ चेतक का नाम जरूर आता है।

महाराणा प्रताप की ज्यादातर प्रतिमाएँ चेतक के ऊपर बैठे हुए ही है, बिना चेतक के उनका स्टेचू बहुत कम जगह पर है।

पास ही पहाड़ी के ऊपर महाराणा प्रताप स्मारक बना हुआ है। यहाँ पर महाराणा प्रताप की चेतक पर बैठी प्रतिमा बनी हुई है।

इस जगह से चारों तरफ दूर-दूर तक का सुन्दर नजारा होता है। चारों तरफ जंगल ही जंगल दिखाई देता है। अगर आप हल्दीघाटी जा रहे हो तो आपको चेतक के इस स्मारक पर जरूर जाना चाहिए।

चेतक नाले के पास घूमने की जगह - Places to visit near Chetak Naala


अगर हम चेतक नाले के पास घूमने की जगहों के बारे में बात करें तो आप चेतक की समाधि, हल्दीघाटी का दर्रा, महाराणा प्रताप स्मारक, महाराणा प्रताप की गुफा, बादशाही बाग, रक्त तलाई आदि जगह देख सकते हैं।

चेतक नाले तक कैसे जाएँ? - How to reach Chetak Naala?


अब हम बात करते हैं कि चेतक नाले तक कैसे जाएँ। चेतक नाला, हल्दीघाटी के दर्रे के पास बलीचा नामक जगह पर पहाड़ियों के बीच में स्थित है।

उदयपुर रेलवे स्टेशन से यहाँ की दूरी लगभग 45 किलोमीटर है। उदयपुर से चेतक नाले तक जाने के लिए आपको उदयपुर-गोगुंदा हाईवे पर घसियार से आगे ईसवाल से राइट टर्न लेकर लोसिंग होकर जाना है।

इस नाले की तरफ जाने के लिए आपको बलीचा में चेतक समाधि के सामने की ओर महाराणा प्रताप स्मारक की तरफ जाने वाले रास्ते पर घुमाव से लेफ्ट साइड में जाना होता है।

घुमाव पर कोई बोर्ड नहीं लगा होने की वजह से ज्यादातर लोगों को तो इस नाले के बारे में पता ही नहीं चल पाता है और वे ऊपर स्मारक की तरफ आगे निकल जाते हैं।

नाले वाले रास्ते पर आगे जाने पर एक राउंड वाल नजर आती है। यह राउंड वाल, वर्षों पहले इस जगह पर चेतक के साथ महाराणा प्रताप की प्रतिमा लगाने के लिए बनाई गई थी।

यहाँ से सामने की तरफ वह नाला दिखाई देता है जिसके सामने वाले छोर से इस तरफ वाले छोर को पार करने के लिए चेतक ने लगभग 22 फीट लंबी छलांग लगाई थी।

अंत में आपको यही कहना है कि अगर आप महाराणा प्रताप के स्वामीभक्त घोड़े चेतक के बलिदान को महसूस करना चाहते हैं तो आपको इस चेतक नाले को जरूर देखना चाहिए।

चेतक नाले की मैप लोकेशन - Map location of Chetak Naala



चेतक नाला का वीडियो - Video of Chetak Nala



डिस्क्लेमर (Disclaimer)

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रमेश शर्मा

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील – हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख सकते हैं: ramesh3460@gmail.com

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