शेखावाटी की प्रसिद्ध हवेलियाँ - Havelis of Shekhawati in Hindi

शेखावाटी की प्रसिद्ध हवेलियाँ - Havelis of Shekhawati in Hindi, इसमें शेखावाटी यानी सीकर, झुंझुनू और चूरू की प्रसिद्ध हवेलियों की जानकारी दी गई है।

Havelis of Shekhawati in Hindi

राजस्थान की धरती अपनी सांस्कृतिक विरासत एवं ऐतिहासिक धरोहरों की वजह से सम्पूर्ण विश्व में अपना अलग ही स्थान रखती है।

जगह-जगह पर स्थित किले, बावड़ियाँ, छतरियाँ एवं हवेलियाँ अपनी सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत का जीता जागता सबूत है। राजस्थान में शेखावाटी क्षेत्र मुख्यतया अपनी हवेलियों, छतरियों एवं बावडियों के लिए सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है।

इस सभी विरासतों में शेखावाटी की हवेलियों की एक अलग ही पहचान है। यहाँ की हवेलियों पर शोध करने के लिए विश्व के कई देशों के लोग नियमित शेखावाटी में आते रहते हैं।

अपनी इन धरोहरों की वजह से शेखावाटी क्षेत्र को “ऑपन आर्ट गैलरी ऑफ राजस्थान (Open Art Gallery of Rajasthan)” के नाम से भी जाना जाता है।

शेखावाटी में कुल 1300 हवेलियाँ बताई जाती है जिनमें सबसे ज्यादा 715 हवेलियाँ फतेहपुर में हैं। इसके साथ नवलगढ़ में लगभग 250, रामगढ़ में 100, मंडावा में 61 और मुकंदगढ़ में 10 हवेलियाँ हैं।

इनके अलावा डूंडलोद, सूरजगढ़, मलसीसर, अलसीसर, पिलानी, सरदारशहर, रतनगढ़, लक्ष्मणगढ़, महनसर, चूरू, झुन्झुनू और इसके काजड़ा गाँव आदि में भी कई हवेलियाँ बनी हुई हैं।

इन प्रसिद्ध हवेलियों में झुन्झुनू शहर में टीबड़ेवाला की हवेली तथा ईसरदास मोदी की हवेली, मण्डावा में सागरमल लाडिया, रामदेव चौखाणी तथा रामनाथ गोयनका की हवेली, डूंडलोद में सेठ लालचन्द गोयनका, मुकुन्दगढ़ में सेठ राधाकृष्ण एवं केसर देव कानोड़िया की हवेलियाँ, चिड़ावा में बागड़िया की हवेली, डालमिया की हवेली तथा महनसर में सोने-चाँदी की हवेली शामिल है।

सीकर शहर में गौरीलाल बियाणी की हवेली, रामगढ़ में ताराचन्द रुईया की हवेली, फतेहपुर में नन्दलाल देवड़ा, कन्हैयालाल गोयनका की हवेली, श्रीमाधोपुर में पंसारी की हवेली, लक्ष्मणगढ़ में केडिया, राठी और चार चौक की हवेली, चूरू में मालजी का कमरा, रामनिवास गोयनका की हवेली, मंत्रियों की हवेली, सुराणा की हवेली और हवामहल शामिल है।


सेठ साहूकारों द्वारा निर्मित ये कई मंजिला हवेलियाँ अपनी भव्यता एवं स्थापत्य कला के साथ-साथ अपनी कलात्मकता के लिए भी जानी जाती हैं।

इन हवेलियों के झरोखों, बरामदों, छज्जों एवं बाहरी दीवारों पर बारीक़ नक्काशी के साथ-साथ भित्तिचित्र मौजूद हैं। कई हवेलियों के भित्तिचित्र तो 200 वर्षों से अधिक प्राचीन हैं।

इन हवेलियों की दीवारों पर चित्रकारी करने के लिए अराइस की आलागीला पद्धति का इस्तेमाल किया गया है। इन भितिचित्रों के विषय मुख्यतया दैनिक जीवन के क्रियाकलाप, सामाजिक एवं धार्मिक उत्सव, देवताओं, फूल पत्तियों आदि से ही सम्बंधित होते थे।

इन चित्रों को दीवार पर चूने का प्लास्टर करते समय बनाया जाता था। गीले प्लास्टर पर प्राकृतिक रंगों का लेप बनाकर चित्रकारी की जाती थी। जैसे-जैसे प्लास्टर सूखता था वैसे-वैसे ये रंग भी फैलने की बजाए अंदर तक जड़ पकड़ कर लेते थे।

सेठों ने क्यों बनाई शेखावाटी में इतनी हवेलियाँ? - Why did the Seths build so many mansions in Shekhawati?


शेखावाटी के जिन कस्बों में ज्यादा हवेलियाँ बनी हुई है वो कस्बे किसी जमाने में चीन-अफगानिस्तान के सिल्क रूट के ऊपर होने की वजह से एक बड़ा व्यापारिक केंद्र था।

भारत से इन देशों को अफीम का निर्यात होता था और इन देशों से भारत में सिल्क और ड्राइफ्रूट्स का आयात होता था। ये सारा सामान शेखावाटी के इस व्यापारिक केंद्र में आता था और बाद में यहीं से दूसरे व्यापारियों को बेच जाता था।

दिल्ली और हिसार में व्यापार कठिन होने पर सेठों ने शेखावाटी के इस क्षेत्र को अपना व्यापारिक केंद्र बनाया। 

अपने रहने के साथ व्यापारिक जरूरतों को पूरा करने के लिए सेठों ने बड़ी-बड़ी हवेलियाँ बनवाई। अपने माल का स्टॉक करने के लिए इन हवेलियों में तहखाने भी बनवाए।

बाद में जल मार्ग के विकसित हो जाने से यह सिल्क रूट फेल हो गया और इस वजह से बड़े-बड़े सेठ साहूकार इन हवेलियों को छोड़कर बड़े शहरों में शिफ्ट हो गए।

देख रेख के अभाव में अधिकतर हवेलियाँ जर्जर होकर अपना अस्तित्व खो रही है। सरकार के साथ-साथ आम जनता को भी इनके अस्तित्व को बचाने की दिशा में प्रयास करना चाहिए।

शेखावाटी की हवेलियों के संरक्षण का सरकारी प्रयास - Government efforts to preserve the mansions of Shekhawati


शेखावाटी की इन हवेलियों को अब सरकारी स्तर पर संरक्षित किया जाएगा जिसके पहले चरण में कुल 648 हवेलियों का नाम है। इन हवेलियों में सीकर की 268, चुरू की 267 और झुंझुनूं की 113 हवेलियाँ शामिल हैं।

Shekhawati Havelis News

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

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रमेश शर्मा

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील – हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख सकते हैं: ramesh3460@gmail.com

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