गोगुंदा महल का गौरवशाली इतिहास - Gogunda Palace

गोगुंदा महल का गौरवशाली इतिहास - Gogunda Palace, इसमें मेवाड़ की एक राजधानी गोगुंदा में मौजूद ऐतिहासिक महल के इतिहास के बारे में जानकारी दी गई है।

Gogunda Palace

गोगुंदा महल को ईडरिया महल भी कहा जाता है क्योंकि इस महल के निर्माण की शुरुआत तेरहवीं शताब्दी में ईडर के राठौड़ वंश ने करवाई थी।

ईडर के शासकों ने अपनी व्यापारिक गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए इस महल को उत्तर दिशा में अपनी अंतिम चौकी के रूप में काम में लेते थे।

14 वीं शताब्दी में चित्तौड़ के महाराणा हम्मीर सिंह सिसोदिया ने ईडर तक का राज्य जीत लिया था और इनके पुत्र महाराणा खेता ने भी ईडर पर अपना कब्जा बरकरार रखा।

महाराणा खेता ने गोगुन्दा के व्यापारिक महत्व को देखते हुए गोगुन्दा पर भी कब्ज़ा कर लिया। इस प्रकार गोगुंदा से लेकर ईडर तक राज्य महाराणा खेता के अधिकार में आ गया था।

जब 1567-68 में चित्तौड़ पर अकबर का आक्रमण हुआ तब महाराणा उदय सिंह ने चित्तौड़ को त्यागकर गोगुंदा को ही अपनी राजधानी बनाया और इसी महल में रहे।

महाराणा उदय सिंह ने इस महल के उत्तर पश्चिमी भाग का निर्माण करवाया जिसे बाद में यहाँ के झाला राजराणाओं ने अपना निवास स्थान बनाया।

महाराणा उदय सिंह के बाद महाराणा प्रताप इसी महल में राज गद्दी पर बैठे और लगभग चार वर्षों तक इस महल में रह पाए।

गोगुन्दा महल के अंदर पीर बावजी की तीन मजार और एक राड़ा जी का स्थान है जो अब झरोखों के रूप में केवल सांकेतिक रूप से मौजूद हैं।

गोगुन्दा के महल में ही अमरपसि नामक जगह पर 5 फरवरी 1615 को मुगल मेवाड़ संधि हुई जिसमें मुगलों की तरफ से जहांगीर का पुत्र शहजादा खुर्रम महल में मौजूद था।

अब गोगुन्दा महल एक हेरिटेज होटल का रूप ले चुका है जिसके कारण इसमें बहुत से बदलाव हुए हैं। एक आम पर्यटक के लिए इसे देख पाना संभव नहीं है।


गोगुंदा महल की मैप लोकेशन - Map location of Gogunda Palace



गोगुंदा महल का वीडियो - Video of Gogunda Palace



डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें क्योंकि इसे आपको केवल जागरूक करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। मैं अक्सर किसी किले, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरने, पहाड़, झील आदि के करीब चला जाता हूँ। मुझे अनजाने ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी देने के साथ ऐसी छोटी कविताएँ लिखने का भी शौक है जिनमें कुछ सन्देश छिपा हो। इसके अलावा, एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे डिजीज, मेडिसिन्स, लाइफस्टाइल और हेल्थकेयर आदि के बारे में भी जानकारी है। अपनी शिक्षा और शौक की वजह से जो कुछ भी मैं जानता हूँ, मैं उसकी जानकारी ब्लॉग आर्टिकल और वीडियो के माध्यम से सभी को देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर मेरे आर्टिकल पढ़ सकते हैं, साथ ही सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर @ShriMadhopurWeb पर फॉलो भी कर सकते हैं।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने