काले दरवाजे का खूनी इतिहास - Kala Darwaza

काले दरवाजे का खूनी इतिहास - Kala Darwaza, इसमें खंडेला के बड़ा पाना गढ़ के बाहर मौजूद काले दरवाजे के खूनी इतिहास के बारे में जानकारी दी गई है।

Kale Darwaje Ki Kahani

खंडेला में बड़ा पाना गढ़ के सामने एक दरवाजा बना हुआ है जिसे काले दरवाजे के नाम से जाना जाता है।

लगभग साढ़े तीन सौ साल पहले इस दरवाजे के पास एक ऐसी भयानक घटना घटी थी जिस वजह से इस दरवाजे का ऐतिहासिक रूप से काफी महत्व है।

तो अब हम आपको इस दरवाजे के पास घटी उस घटना के बारे में बताते हैं जिसकी वजह से इस दरवाजे का नाम इतिहास के पन्नों में काला दरवाजा पड़ गया।

बताया जाता है कि सत्रहवीं शताब्दी में जब औरंगजेब ने हिन्दू धर्मस्थलों यानी मंदिरों को तोड़ने का अभियान चला रखा था, तब उसने अपने सेनापति सेनापति दराब खाँ को इस काम के लिए शेखावाटी एरिया में भेजा।

दराब खाँ ने खंडेला के मंदिरों पर आक्रमण किया जिसको रोकने के लिए खंडेला के राजा बहादुर सिंह के साथ छापोली के राजा सुजान सिंह के साथ लगभग 300 राजपूत योद्धा आगे आए।


चैत्र के महीने में विक्रम संवत 1736 यानी 1679 ईस्वी में बड़ा पाना गढ़ के इस दरवाजे के पास भयानक युद्ध हुआ जिसमें सभी राजपूत योद्धा शहीद हुए। इस घटना के बाद से इस दरवाजे को काले दरवाजे के नाम से जाना जाने लगा।

इस दरवाजे के आसपास की मिट्टी में उन सभी वीरों का खून मिला हुआ है जिन्होंने अपने धार्मिक स्थलों को नष्ट होने से बचाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए थे।

आप भी जब कभी खंडेला जाएँ तो इस दरवाजे को देखने जरूर जाएँ क्योंकि ये दरवाजा आज भी उन वीरों की कहानी सुनाता हुआ नजर आएगा।


डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें क्योंकि इसे आपको केवल जागरूक करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील – हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख सकते हैं: ramesh3460@gmail.com

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने