इस दरवाजे से चित्तौड़ में घुसी अलाउद्दीन खिलजी की सेना - Suraj Pol Gate Chittorgarh, इसमें चित्तौड़गढ़ किले के सूरजपोल दरवाजे के इतिहास की जानकारी है।
चित्तौड़गढ़ किले में अद्भुत जी के मंदिर से आगे राइट साइड में पूर्व दिशा में एक बड़ा दरवाजा बना हुआ है जिसे सूरजपोल कहा जाता है। इस दरवाजे से उगते सूरज का बड़ा सुंदर नजारा होता है।
दरवाजे के सामने दो चबूतरे बने हैं जिन पर सती स्तम्भ लगे हुए हैं। ये दोनों चबूतरे युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए योद्धाओं के स्मारक हैं जिनमें से एक स्मारक सलूम्बर के चुण्डावत सरदार रावत सांईदास का है।
1568 ईस्वी में इस जगह पर चित्तौड़गढ़ के तीसरे साके में अकबर की सेना के साथ हुए युद्ध में सलूम्बर के रावत सांईदास चुण्डावत मुगल सेना से लड़ते हुए शहीद हुए।
इस युद्ध में इनके साथ इनके इकलौते पुत्र कुँवर अमर सिंह चूण्डावत भी वीरगति को प्राप्त हुए। सूरज पोल दरवाजे से किले के बाहर पूर्व दिशा का बड़ी दूर-दूर तक खूबसूरत नजारा दिखाई देता है।
सामने अरावली की पहाड़ियों में एक पहाड़ी ऐसे आकार की है जिसे देखने पर ऐसा लगता है जैसे कोई इंसान सो रहा हो। इस पहाड़ी को कुंभकर्ण पहाड़ी या सोते हुए आदमी का पहाड़ (Sleeping Man Mountain) कहा जाता है।
इन पहाड़ियों के पहले जो खाली मैदान है वह किसी जमाने में युद्ध का मैदान हुआ करता था। चित्तौड़ के तीनों साकों के समय दुश्मन की सेना ने इसी मैदान में पड़ाव डालकर चित्तौड़ किले की घेराबंदी की थी।
इस मैदान में ही 1303 ईस्वी में अलाऊदीन खिलजी, 1535 ईस्वी में गुजरात के बहादुरशाह और 1568 ईस्वी में मुगल बादशाह अकबर की सेना के साथ मेवाड़ की सेना का युद्ध हुआ था।
महाराणा कुंभा के समय से पहले तक चित्तौड़गढ़ किले का सबसे मुख्य प्रवेश द्वार सूरजपोल ही था। नीचे से इस दरवाजे तक आने के लिए 6 और दरवाजे बने हुए थे जिनमें अब एक दरवाजा ही मौजूद है। सूरजपोल से नीचे मौजूद इस दरवाजे का नाम शायद चुंडा पोल था।
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
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