नागर शैली के मंदिरों के मुख्य भाग कौन से हैं? - Main parts of Nagar style temples

नागर शैली के मंदिरों के मुख्य भाग कौन से हैं? - Main parts of Nagar style temples, इसमें उत्तर भारत के मंदिरों के निर्माण की नागर शैली की जानकारी है।

Main parts of Nagar style temples

भारत में मंदिर निर्माण की दो मुख्य शैलियाँ रही हैं जिनमें उत्तर भारत में नागर शैली और दक्षिण भारत में द्रविड़ शैली का नाम है। आज हम सिर्फ नागर शैली के बारे में ही बात करेंगे।

नागर शब्द नगर से बना है और इस शैली का प्रयोग सबसे पहले नगरों में होने के कारण इसे नागर शैली कहा गया। इस शैली के मंदिरों की पहचान इसका आधार से लेकर शिखर तक चतुष्कोण होना है।

नागर शैली के मंदिरों में मुख्यतया गर्भगृह के पास अन्तराल, मण्डप और अर्द्धमण्डप होता है। अब हम आपको इस शैली के मंदिर के मुख्य अंगों के बारे में बताते हैं।

अधिष्ठान - यह मंदिर का मूल आधार यानी बेस होता है।

जगती - यह अधिष्ठान का ऊपरी प्लेटफॉर्म होता है जिस पर मंदिर खड़ा होता है। जगती को चबूतरा या वेदी भी कह सकते हैं जिस पर जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी होती हैं।

गर्भगृह - यह मंदिर का सबसे मुख्य हिस्सा होता है जिसमें मंदिर के अधिष्ठाता यानी मुख्य देवता की मूर्ति स्थापित होती है। गर्भगृह ही मंदिर में पूजा-पाठ और धार्मिक गतिविधियों का केंद्र होता है।

मंदिर की दीवारों विशेषकर गर्भगृह की दीवारों को जंघा कहा जाता है। कई मंदिरों के गर्भगृह के चारों तरफ परिक्रमा लगाने के लिए प्रदक्षिणा पथ होता है।

सर्वतोभद्र मंदिर में सभी दिशाओं को शुभ मानकर सब तरफ से प्रवेश किया जा सकता है। ये मंदिर आमतौर पर सभी तरफ से सममित (symmetrical) होते हैं और गर्भगृह की चारों दिशाओं में एक-एक द्वार होता है।

शिखर - यह हिस्सा गर्भगृह का उपरी भाग होता है जो मंदिर में सबसे ऊँचा होता है। पुराने समय में मंदिरों में केवल गर्भगृह के ऊपर एक ही शिखर होता था लेकिन समय के साथ कई शिखर होने लगे। 

इन दूसरे शिखरों को उपशिखर या उरुशृंग कहा जाता है जो अनंतता के प्रतीक माने जाते हैं। शिखर के ऊपरी ढलवाँ हिस्से को ग्रीवा कहते हैं। शिखर के सबसे ऊपर के हिस्से को कलश और इसके नीचे के गोलाकार हिस्से को आमलक कहते हैं।

अंतराल - यह गर्भगृह और मंडप के बीच का हिस्सा होता है जो इन दोनों को आपस में जोड़ता है।

मंडप - अंतराल से मंदिर में प्रवेश करने तक का हिस्सा मंडप कहलाता है जिसमें काफी लोग इकट्ठे हो सकते हैं। इसकी छत सुंदर खंभों पर टिकी हुई होती है।

एक मंदिर में मुख्यमंडप के अलावा रंगमंडप जैसे कई लघु या अर्धमंडप हो सकते हैं जो अलग-अलग काम के लिए बनाए जाते हैं। गर्भगृह के पास अंतराल से जुड़ा हुआ जो सबसे पहला मंडप होता है उसे मुख्यमंडप या महामंडप या सभामंडप कहते हैं और ये भगवान के दर्शन के काम आता है।

सभामंडप के आगे वाला हिस्सा रंगमंडप कहलाता है और ये कीर्तन और नृत्य के काम में आता है। मुख्यमंडप के अलावा बाकी सभी अर्धमंडप होते हैं जिनकी ऊँचाई और विस्तार घटते जाते हैं।

कपोत - मंदिर के दरवाजों, खिड़कियों, दीवारों या खंभों का ऊपरी हिस्सा जो छत से जुड़ा हुआ होता है उसे कपोत कहते हैं।

मसूरक - मंदिर की नींव और इसकी दीवारों के बीच के हिस्से को मसूरक कहते हैं।

तोरण - मंदिर के बाहर प्रवेश द्वार को तोरण द्वार कहते हैं। पुराने मंदिरों में तोरण काफी भव्य और कलात्मक बनाए जाते थे।

गवाक्ष - मंदिर में कई जगह मूर्तियाँ रखने के लिए ताकें या गोखड़े बने होते हैं उन्हे गवाक्ष कहते हैं। पुराने मंदिरों में गर्भगृह की बाहरी दीवारों पर कई गवाक्ष होते हैं।

वाहन - मंदिर में गर्भगृह से कुछ दूरी पर मुख्य देवता की सवारी की प्रतिमा होती है जिसे वाहन कहते हैं जैसे शिव मंदिर में नंदी और विष्णु मंदिर में गरुड़ जी।

मंदिर के जिन हिस्सों के बारे में हमने बात कि है वे सभी हिस्से मंदिर को आकार देने के साथ इसकी सुंदरता को भी बढ़ाते हैं।



लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। मैं अक्सर किसी किले, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरने, पहाड़, झील आदि के करीब चला जाता हूँ। मुझे अनजाने ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी देने के साथ ऐसी छोटी कविताएँ लिखने का भी शौक है जिनमें कुछ सन्देश छिपा हो। इसके अलावा, एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे डिजीज, मेडिसिन्स, लाइफस्टाइल और हेल्थकेयर आदि के बारे में भी जानकारी है। अपनी शिक्षा और शौक की वजह से जो कुछ भी मैं जानता हूँ, मैं उसकी जानकारी ब्लॉग आर्टिकल और वीडियो के माध्यम से सभी को देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर मेरे आर्टिकल पढ़ सकते हैं, साथ ही सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर @ShriMadhopurWeb पर फॉलो भी कर सकते हैं।

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