चार हाथों वाले लोक देवता कल्लाजी राठौड़ - Kallaji Rathore, इसमें चित्तौड़ के तीसरे शाके के योद्धा लोकदेवता कल्लाजी राठौड़ के बारे में जानकारी दी गई है।
कल्लाजी राठौड़ का जन्म 1544 ईस्वी में मेड़ता में हुआ था। इनके पिता का नाम आशा सिंह या अचल सिंह था। मेड़ता की कृष्णभक्त मीराबाई इनकी बुआ और जयमल राठौड़ इनके चाचा लगते थे।
ये एक बहादुर योद्धा होने के साथ-साथ योगाभ्यास और औषधियों के भी बहुत अच्छे जानकार थे। महाराणा उदय सिंह ने इन्हें छप्पन क्षेत्र में रनेला का जागीरदार बनाकर वहाँ की जिम्मेदारी सौंपी।
रनेला के पास भौराई और टोकर क्षेत्र में पेमला डाकू का आतंक होने पर इन्होंने भौराई गढ़ पर आक्रमण करके पेमला डाकू को मारा और रनेला की प्रजा को डाकू के आतंक से बचाया।
कल्लाजी का विवाह शिवगढ़ के कृष्णदास चौहान की राजकुमारी कृष्णकांता के साथ तय हुआ। विवाह के समय ही इन्हें अकबर द्वारा चित्तौड़ पर आक्रमण की सूचना के साथ तुरंत चित्तौड़ आने का संदेश मिला।
कल्लाजी राजकुमारी को युद्ध के बाद वापस आने का वचन देकर चित्तौड़ चले गए और वहाँ पहुँचकर ये दुर्ग की रक्षा में लग गए।
चित्तौड़ में तीसरे शाके से पहले इनके चाचा जयमल राठौड़ के पैर में अकबर द्वारा चलाई गई बंदूक की गोली लगने के कारण ये घायल होकर चलने में असमर्थ हो गए।
24 फरवरी 1568 के दिन जब चित्तौड़ का तीसरा शाका हुआ तब कल्लाजी ने अपने चाचा जयमल राठौड़ को कंधे पर बैठाकर युद्ध किया। जयमल राठौड़ और कल्लाजी ने चतुर्भुज रूप में युद्ध किया जिस वजह से इन्हें चार हाथों वाला देवता भी कहा जाता है।
भैरव पोल के पास मुगल सेना से लड़ते हुए इनका सिर कट गया लेकिन तब भी ये बिना सिर के यानी कमधज रूप में लड़ते हुए घोड़े पर बैठकर रनेला जा पहुँचे।
रनेला में राजकुमारी कृष्णकांता को दिए वचन को पूरा करने के बाद इन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। कल्लाजी के कमधज को गोद में लेकर राजकुमारी सती हो गई।
कल्लाजी को शेषनाग का अवतार मानकर इन्हें लोकदेवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जहरीले जानवरों के काटने पर हाथ में बेड़ी डालने से जहर उतर जाता है।
चित्तौड़ में भैरव पोल के पास इनकी और इनके चाचा जयमल की छतरी बनी हुई है। सलूम्बर के पास रनेला गाँव में में इनका सबसे बड़ा स्थानक बना हुआ है जहाँ पर लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं।
डिस्क्लेमर (Disclaimer)
इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें क्योंकि इसे आपको केवल जागरूक करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
Tags:
Blog

