महाभारत काल से भी पुराना खंडेला शहर - Khandela

महाभारत काल से भी पुराना खंडेला शहर - Khandela, इसमें महाभारत काल से भी पुरानी खंडेला रियासत के गौरवशाली इतिहास के बारे में पूरी जानकारी दी गई है।

Khandela

इतिहास में महाभारतकालीन कस्बे खंडेला को तीन नामों, खण्डपुर (Khandapura), खंडिल्ल (Khandilla) और खड़्गकूप (Khadagakupa) से संबोधित किया गया है।

माना जाता है कि खंडेला की स्थापना प्राचीन भारत के चेदि महाजनपद के राजा और भगवान कृष्ण के फुफेरे भाई शिशुपाल के एक वंशज ने की थी।

महाभारत में जो खंड नामक राजा का जिक्र है उसका संबंध भी वर्तमान खंडेला से बताया जाता है। पुराने समय में खंड राजा के नाम की वजह से इसे खंडस्य इला कहा जाता था।

प्राचीन काल में इस नगर के बीच में से कांतली नदी बहा करती थी जिसकी वजह से यह दो भागों में बँटा हुआ था। आजादी से पहले तक यहाँ दो राजाओं का राज था जिनमें एक बड़ा पाना और दूसरा छोटा पाना के नाम से जाना जाता था।

यहाँ पर नाग वंशीय चौहान राजाओं का प्रभाव रहा। सातवीं शताब्दी में खंडेला पर आदित्य नाग धूसर नामक राजा का शासन था।

1084 ईस्वी में नाडोल (पाली) के राजकुमार नरदेव चौहान ने यहाँ के शासक कुंवरसिंह डाहिल को हरा कर खंडेला पर अधिकार किया। नरदेव चौहान के वंशजों को ही निरबाण (निर्बाण) नाम से जाना जाने लगा।

इसके बाद 1578 ईस्वी में खंडेला के शासक पीपाजी निरबाण को रायसल ने हराकर खंडेला में शेखावतों का राज्य कायम किया जो आजादी तक कायम रहा।

खंडेला पर कई प्रतापी राजाओं ने आक्रमण भी किए जिनमें रणथम्भोर के हम्मीर चौहान और मेवाड़ के महाराणा कुम्भा का नाम प्रमुख है।

आजादी के बाद तक खंडेला में कुल 52 बावडियाँ हुआ करती थी जिसकी वजह से इसे बावन बावडियों वाला खंडेला या बावडियों का शहर कहा जाता था।

जैन धर्म के प्रसिद्ध आचार्य जिनप्रभ सूरि ने भी खंडेला में निवास किया था। खंडेला की भूमि में ही कृष्ण भक्ति में मीरा बाई के तुल्य करमेती बाई का जन्म हुआ था।

वैश्य समाज के कुछ वंशों का उद्भव भी खंडेला से हुआ माना जाता है जिनमें विजयवर्गीय, माहेश्वरी, खंडेलवाल और सरावगी मुख्य है।



लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें। जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट भी हूँ इसलिए मैं लोगों को वीडियो और ब्लॉग के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारियाँ भी देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर ट्रैवल और हेल्थ से संबंधित मेरे लेख पढ़ सकते हैं।

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