उदयपुर की स्थापना कब हुई थी? - When was Udaipur founded?

उदयपुर की स्थापना कब हुई थी? - When was Udaipur founded? इसमें महाराणा उदय सिंह द्वारा बसाई गई झीलों की नगरी उदयपुर की स्थापना के बारे में जानकारी है।

When was Udaipur founded

उदयपुर की स्थापना का दिन तो अक्षय तृतीया ही है लेकिन साल को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। कुछ इतिहासकार उदयपुर की स्थापना का साल 1553 ईस्वी और कुछ 1559 ईस्वी मानते हैं। सही जानकारी के लिए हमें उदयपुर का थोड़ा सा इतिहास समझना पड़ेगा।

दरअसल हुआ ये था कि जब चित्तौड़ पर मुगलों के आक्रमण बढ़ने लगे तब महाराणा उदय सिंह के दिमाग में चित्तौड़ की जगह दूसरी नई राजधानी बसाने का विचार आया।

इसी समय महाराणा उदय सिंह अपने पौत्र अमर सिंह के जन्म के अवसर पर भगवान एकलिंग जी के दर्शन करने कैलाशपुरी आए। यहाँ पर इन्होंने नए नगर की स्थापना के लिए जमीन तलाशना शुरू किया।

तलाशते हुए इन्हें चारों तरफ से अरावली की पहाड़ियों से घिरी हुई गिर्वा नाम की एक जगह पसंद आई। तब इन्होंने इस जगह एक पहाड़ी पर मोती महल नाम का महल बनवाकर नगर की स्थापना कर दी।

ये महल उदयपुर में फतेहसागर झील के किनारे पर मोती मगरी के ऊपर खंडहरों के रूप में आज भी मौजूद हैं। ये घटना 1553 ईस्वी में अक्षय तृतीया के दिन की बताई जाती है।

इसके बाद जब भी समय मिलता तब महाराणा उदय सिंह इस मोती महल में आते और नगर के विकास के बारे में मंथन करते। एक बार महाराणा उदय सिंह शिकार की तलाश में पास में एक पहाड़ी पर गए।

इस पहाड़ी पर उन्हें एक साधु प्रेमगिरी गोस्वामी धूणी रमाकर तपस्या करते हुए मिले। जब महाराणा इनसे मिले तो इन्होंने इस जगह पर महल बनवाकर नगर की स्थापना की बात कही।

महाराणा उदय सिंह ने साधु की बात मानकर पहाड़ी की उस चोटी पर महल बनवाना शुरू कर दिया। यह बात 1559 ईस्वी के दिन अक्षय तृतीया के दिन की है।

सिटी पेलेस में महाराणा उदय सिंह द्वारा बनवाए गए महल में आज भी साधु प्रेमगिरी की धूणी मौजूद है जिसका आशीर्वाद विशेष अवसरों पर राजपरिवार के सदस्य लेते रहते हैं।

मेवाड़ के महाराणाओं का निवास होने के कारण सिटी पेलेस और इसके चारों तरफ काफी विकास हुआ लेकिन देखरेख नहीं होने के कारण मोती महल खंडहर में बदल गया।

वैसे उदयपुर की स्थापना का साल कोई सा भी हो लेकिन दिन तो अक्षय तृतीया ही था। आप भी अपनी राय देकर बताएँ की आपको 1553 और 1559 ईस्वी में से कौन सा साल उदयपुर की स्थापना का लगता है।



डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें क्योंकि इसे आपको केवल जागरूक करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील – हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख सकते हैं: ramesh3460@gmail.com

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने