मेवाड़ के हरिद्वार में धुले परशुरामजी के पाप - Matrikundiya in Hindi

मेवाड़ के हरिद्वार में धुले परशुरामजी के पाप - Matrikundiya in Hindi, इसमें परशुरामजी के पापों की मुक्ति के स्थल मातृकुंडिया तीर्थ की जानकारी दी है।

Matrikundiya Mewar Ka Haridwar

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आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जहाँ पर भगवान परशुरामजी ने स्नान करके अपनी माता की हत्या के पाप से मुक्ति पाई थी।

ये जगह एक ऐसी नदी के किनारे पर मौजूद है जिसके उद्गम स्थल पर भगवान परशुराम ने महाबली कर्ण को शिक्षा दी थी। आज इस जगह पर राजस्थान का सबसे ज्यादा दरवाजों वाला बाँध बना हुआ है।

इस जगह का धार्मिक महत्व इतना ज्यादा है कि स्थानीय लोग अपने परिजनों की अस्थियों का विसर्जन हरिद्वार ना जाकर इस जगह पर करते हैं।

तो चलिए आज हम मेवाड़ के हरिद्वार नाम से प्रसिद्ध इस जगह को करीब से देखकर इसके इतिहास को समझने की कोशिश करते हैं, आइए शुरू करते हैं।

मातृकुंडिया की विशेषता और इतिहास - Features and history of Matrikundiya


बनास नदी के किनारे पर मौजूद मातृकुंडिया नाम की इस जगह को भगवान विष्णु के अवतार परशुरामजी से जोड़ा जाता है। यह जगह अपने धार्मिक महत्व के लिए विशेष रूप से जानी जाती है।

ऐसी मान्यता है कि जब परशुराम जी ने अपने पिता ऋषि जमदग्नि की आज्ञा को मानकर अपनी माता रेणुका का सिर काट दिया था, बाद में वे माता की हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए कई तीर्थ स्थलों पर गए लेकिन उन्हें इस पाप से मुक्ति नहीं मिली।

घूमते-घूमते परशुरामजी इस जगह पर आए। जब उन्होंने इस कुंड में स्नान करके भोलेनाथ की आराधना की तब उन्हें माता की हत्या के पाप से मुक्ति मिली। परशुरामजी की वजह से उस समय से ही यह जगह मातृकुंडिया नाम से प्रसिद्ध हो गई।

मातृकुंडिया का मतलब माता के प्रति किए गए पाप से मुक्ति देने वाला कुंड, जिसकी कहानी भगवान विष्णु के अवतार परशुरामजी से जुड़ी हुई है। 

ऐसी मान्यता है कि जिस तरह इस प्राचीन कुंड में स्नान करने से परशुरामजी को अपने पापों से मुक्ति मिली थी, ठीक उसी तरह यहाँ स्नान करने वाले लोगों को उनके जाने अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है।

मेवाड़ के लोग विशेषकर चित्तौड़गढ़ एरिया के लोग अपने पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन हरिद्वार में न करके इस जगह पर ही करते हैं इसलिए इसे मेवाड़ का हरिद्वार कहा जाता है।


इस जगह पर कई मंदिर बने हुए हैं जिनमें भोलेनाथ का मंगलेश्वर महादेव मंदिर सबसे मुख्य है। इस मंदिर का निर्माण मेवाड़ के महाराणा स्वरूप सिंह ने 19 वीं शताब्दी में करवाया था।

मंदिर में हनुमान जी के मंदिर के साथ जीवित समाधि लेने वाले महात्मा की समाधि भी मौजूद हैं। बताया जाता है कि इस जगह पर लगभग 25 मंदिर और 30 धर्मशालाएँ बनी हुई है।

मंगलेश्वर महादेव मंदिर के सामने प्राचीन कुंड के ऊपर लक्ष्मण झूला बना हुआ है। प्राकृतिक रूप से बना हुआ यह कुंड बनास नदी के तल की एक चट्टान में मौजूद है जो अब नदी के पानी की वजह से दिखाई नहीं देता है।

कुंड के चारों तरफ नदी में उतरने के लिए कई घाट बने हुए हैं जिनमें शिव घाट, परशुराम घाट, गंगा घाट, यादव घाट, विश्वकर्मा घाट मुख्य है।

इन घाटों में परशुराम घाट सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वही घाट है जिसमें स्नान करके परशुराम जी ने अपनी माता की हत्या का पाप धोया था। यहाँ परशुरामजी का एक छोटा सा मंदिर भी बना हुआ है।

मातृकुंडिया के महत्व को देखते हुए इस जगह पर भगवान परशुराम का पैनोरमा बनाकर उसमें इनके जीवन को दर्शाया गया है।

मातृकुंडिया बाँध - Matrikundiya Dam


मातृकुंडिया के प्राचीन कुंड के पास एक काफी बड़ा बाँध भी बना हुआ है जिसे बनास नदी के पानी को रोककर बनाया गया है। इस बाँध को मेजा जलपूरक बाँध भी कहते हैं जिसका निर्माण 1980 में हुआ था।

बाँध की पूर्ण भराव क्षमता साढ़े सत्ताईस फीट है लेकिन इसे साढ़े बाईस फीट तक ही भरा जाता है। बाँध से पानी की निकासी के लिए 52 गेट बने हुए हैं जो राजस्थान के सभी बाँधों में सबसे ज्यादा है।

बाँध में पानी की आवक इसके कैचमेंट एरिया के साथ नाथद्वारा के पास स्थित नंदसमंद बाँध के छलकने पर होती है। इस बाँध का पानी छलकने पर मेजा फीडर द्वारा मेजा बाँध में जाता है।

मातृकुंडिया कैसे जाएँ? - How to reach Matrikundiya?


अब हम बात करते हैं कि मातृकुंडिया कैसे जाएँ?

मातृकुंडिया की चित्तौड़गढ़ से दूरी लगभग 50 किलोमीटर है। चित्तौड़गढ़ से मातृकुंडिया जाने के लिए आपको चित्तौड़गढ़-उदयपुर रोड़ पर नरेला से आगे राइट साइड में भीमगढ़ रोड़ पर जाना होगा। इसके बाद आगे राशमी होते हुए मातृकुंडिया पहुँचना है।

आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय जरूर बताएँ।

इस तरह की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

मातृकुंडिया की मैप लोकेशन - Map location of Matrikundiya



मातृकुंडिया का वीडियो - Video of Matrikundiya



मातृकुंडिया की फोटो - Photos of Matrikundiya


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें। जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट भी हूँ इसलिए मैं लोगों को वीडियो और ब्लॉग के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारियाँ भी देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर ट्रैवल और हेल्थ से संबंधित मेरे लेख पढ़ सकते हैं।

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