भोराई पाल का भोराई गढ़ - Bhorai Fort of Bhorai Pal

भोराई पाल का भोराई गढ़ - Bhorai Fort of Bhorai Pal, इसमें सलूम्बर से खेरवाड़ा रोड़ पर भोराई पाल के ऐतिहासिक भोराई गढ़ के बारे में जानकारी दी गई है।

Bhorai Fort of Bhorai Pal

सलूम्बर से खेरवाड़ा रोड़ पर आदिवासी बाहुल्य भोराई पाल में एक पहाड़ी पर मजबूत गढ़ बना हुआ है जिसे भोराई गढ़ या भोराई फोर्ट के नाम से जाना जाता है।

भोराई गढ़ के पास सोम और गोमती नदियों का संगम होता है। इन दोनों नदियों का मिला हुआ पानी सोम कमला बाँध में जाता है। गोमती नदी का पानी जयसमंद झील से राठौड़ा होते हुए इस संगम तक आता है।

पहाड़ी पर बने भोराई गढ़ के चारों तरफ की दीवारें और बुर्जें आज भी काफी मजबूती से खड़ी हैं। यह गढ़ मेवाड़ रियासत की एक सैन्य चौकी के रूप में काम आया करता था।

आज भी गढ़ में सैनिकों की टुकड़ी के रहने के लिए कई कमरे भी बने हुए हैं। साथ ही इसमें एक सुरंग भी बताई जाती है जिसे अब बंद कर दिया गया है।

कुछ सालों पहले इस गढ़ के बीच में एक सुंदर शिव मंदिर बनवाया गया था जिसके अंदर काफी बड़ा चतुर्मुखी शिवलिंग मौजूद है।

अगर हम इस जगह के इतिहास के बारे में बात करें तो इसका संबंध वीर कल्लाजी राठौड़ से भी रहा है। दरअसल महाराणा उदय सिंह ने कल्लाजी राठौड़ को रनेला का जागीरदार बनाकर भेजा था।

बताया जाता है कि उस समय रनेला के पास भौराई और टोकर एरिया में स्थानीय डकैतों का आतंक था जिस वजह से अशान्ति का माहौल था।

कल्लाजी ने इनके खिलाफ अभियान छेड़कर यहाँ के मुख्य किले भौराई गढ़ पर कब्जा किया। इस तरह भोराई गढ़ मेवाड़ के महाराणा के अधिकार में आया जो बाद में मेवाड़ रियासत की एक सैनिक चौकी के रूप में काम आता रहा।

ऐसा भी बताया जाता है कि इस दुर्ग का निर्माण अंग्रेजों ने एक सैनिक चौकी के रूप में करवाया था ताकि इस एरिया के डाकुओं पर नियंत्रण किया जा सके।

भोराई पाल का संबंध हामजी भोराइया से भी बताया जाता है जिनकी हवेली इस गढ़ के सामने वाली पहाड़ी पर हुआ करती थी। इस एरिया के लोग आज भी हामजी भोराइया (भोरेजा) को लोकगीतों के माध्यम से याद करते हैं।



डिस्क्लेमर (Disclaimer)

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रमेश शर्मा

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील – हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख सकते हैं: ramesh3460@gmail.com

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