केसरियाजी मंदिर की वास्तुकला - Architecture of Kesariyaji Temple, इसमें केसरियाजी ऋषभदेव मंदिर की वास्तु और शिल्पकला के बारे में जानकारी दी गई है।
केसरियाजी के मंदिर में गर्भगृह तक जाने के लिए कुल तीन दरवाजे बने हुए हैं। मंदिर का पहला दरवाजा एक नक्कारखाने के रूप में है। इस दरवाजे पर ही भगवान की आरती के लिए जलघड़ी रखी हुई है।
पहले दरवाजे से अंदर जाते ही सामने दूसरा दरवाजा बना हुआ है जिसके दोनों तरफ काले रंग के हाथी मौजूद हैं। सीढ़ियों से ऊपर जाने पर ऊपर के मंडप में काले हाथी पर मरुदेवी की प्रतिमा है। हाथी पर कई प्राचीन लेख खुदे हुए हैं।
यहाँ पर मंदिर का आंतरिक परिक्रमा पथ मौजूद है जिसमें बावन देवकूलिकाएँ बनी हुई हैं। एक जगह पत्थर की बनी मंदिर जैसी आकृति है जिस पर तीर्थंकरों की बहुत छोटी-छोटी प्रतिमाएँ बनी है। इसे गिरनारजी के बिम्ब के नाम से जानते हैं।
गर्भगृह के बाहर आंतरिक परिक्रमा पथ में चारों तरफ कलात्मक स्तम्भ ही स्तम्भ नजर आते हैं जिन पर कलात्मक मूर्तियाँ बनी हुई हैं। पूरे मंदिर में एक हजार से भी ज्यादा स्तम्भ बताए जाते हैं।
मंदिर के दूसरे दरवाजे के सामने ही तीसरा दरवाजा मौजूद है। यहाँ पर मौजूद मंडप में 9 स्तम्भ होने की वजह से इसे नौ चौकी कहा जाता है।
तीसरे दरवाजे से अंदर जाने पर अंतराल या खेला मंडप आता है जहाँ से भक्त अपने भगवान के दर्शन करते हैं। सामने भगवान का गर्भगृह है जिसमें भगवान ऋषभदेव की काले पत्थर की भव्य प्रतिमा स्थापित है।
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
डिस्क्लेमर (Disclaimer)
इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
Tags:
Tourism-Short