इस मंदिर में भगवान के चढ़ती है केसर - Kesariya Ji Mandir Rishabhdev, इसमें उदयपुर के पास ऋषभदेव में केसरियाजी जैन मंदिर के बारे में जानकारी दी गई है।
उदयपुर के पास केसरियाजी का मंदिर एक जैन मंदिर है जिसके काफी प्राचीन होने के कारण अब तक यह नहीं पता चल पाया है कि ये बना कब था। वैसे मान्यता यह है कि ये दो हजार साल पुराना मंदिर है।
मंदिर में मूल गंभारा, गूढ़मंडप, नवचौकी, सभामंडप, भमती की बावन देवकूलिकाएँ, शृंगारचौकी, शिखर और कोटबंधी कलारूपी रचनाएँ मौजूद हैं।
मूल गंभारे में जैन धर्म के पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की 41 इंच ऊँची काले रंग की तेजस्वी चमत्कारी प्रतिमा विराजमान है। मंदिर में पूजा अर्चना मेवाड़ के महाराणा द्वारा जारी निर्देश के अनुसार होती है।
मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा केसर ज्यादा चढ़ाने की वजह से इसे केसरियानाथ तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में मेवाड़ और वागड़ एरिया के भील समुदाय की भी काफी ज्यादा आस्था है। ये लोग प्रतिमा के प्रक्षाल को काफी पवित्र मानते हैं।
ऋषभदेव तीर्थ भारत का एकमात्र ऐसा जैन तीर्थ है जिसमें कई वर्ग के लोगों की आस्था है और ये सभी लोग प्रचलित परंपरा के अनुसार दर्शन और पूजा करते हैं।
केसरियानाथ में मेवाड़ के महाराणा फतेह सिंह की बहुत आस्था थी और इस वजह से इन्होंने प्रतिमा को हीरे से जड़ी सोने की आंगी धारण कराई जो आज भी मौजूद है।
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
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