परशुरामजी को अपनी माता की हत्या के पाप से यहाँ पर मिली मुक्ति - Matrikundiya

परशुरामजी को अपनी माता की हत्या के पाप से यहाँ पर मिली मुक्ति - Matrikundiya, इसमें चित्तौड़गढ़ के पास प्राचीन तीर्थ मातृकुंडिया के बारे में जानकारी है।

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चित्तौड़गढ़ के पास बनास नदी के किनारे पर मौजूद मातृकुंडिया नाम की इस जगह को भगवान विष्णु के अवतार परशुरामजी से जोड़ा जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार परशुरामजी के पिता ऋषि जमदग्नि ने परशुरामजी को उनकी माता का सिर काटने का आदेश दिया जिसे उन्होंने पूरा किया।

बाद में माता की हत्या के पाप से मुक्ति के लिए वो कई तीर्थों पर गए लेकिन उन्हें मुक्ति इस जगह पर मौजूद कुंड में स्नान करने से मिली। परशुरामजी की वजह से समय के साथ यह जगह मातृकुंडिया नाम से प्रसिद्ध हो गई।

ऐसी मान्यता है कि जिस तरह इस प्राचीन कुंड में स्नान करने से परशुरामजी को अपने पापों से मुक्ति मिली थी, ठीक उसी तरह यहाँ स्नान करने वाले सभी लोगों को उनके जाने अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है।

मेवाड़ के लोग विशेषकर चित्तौड़गढ़ एरिया के लोग अपने पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन भी हरिद्वार में गंगा में ना करके इस जगह पर ही करते हैं इसलिए इसे मेवाड़ का हरिद्वार कहा जाता है।

इस जगह पर कई मंदिर बने हुए हैं जिनमें भोलेनाथ का मंगलेश्वर महादेव मंदिर सबसे मुख्य है। इस मंदिर का निर्माण मेवाड़ के महाराणा स्वरूप सिंह ने 19 वीं शताब्दी में करवाया था। मंदिर में हनुमान जी के मंदिर के साथ जीवित समाधि लेने वाले महात्मा की समाधि भी मौजूद हैं।

मंगलेश्वर महादेव मंदिर के सामने प्राचीन कुंड के ऊपर लक्ष्मण झूला बना हुआ है। प्राकृतिक रूप से बना हुआ यह कुंड बनास नदी के तल की एक चट्टान में मौजूद है जो अब नदी के पानी की वजह से दिखाई नहीं देता है।

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें क्योंकि इसे आपको केवल जागरूक करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील – हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख सकते हैं: ramesh3460@gmail.com

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