कुंभलगढ़ के किले का परिचय - Introduction of Kumbhalgarh Fort, इसमें दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी दीवार वाले कुंभलगढ़ के किले के बारे में जानकारी दी गई है।
आज हम आपका परिचय उस धरोहर से करवाते हैं जो अपने वास्तु एवं शिल्प के साथ-साथ अपने सामरिक एवं ऐतिहासिक महत्व के लिए भी इतनी अधिक विख्यात है कि जिसे यूनेस्को को वर्ष 2013 में वर्ल्ड हेरिटेज साईट घोषित करना पड़ा।
ये वो धरोहर है जहाँ पर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी दीवार बनी हुई है। ये धरोहर स्वाभिमानी वीर योद्धा महाराणा प्रताप की जन्म स्थली होने के साथ-साथ मुगल शहंशाह अकबर से उनके संघर्ष के दिनों की शरण स्थली भी रही।
इसी धरोहर में बलिदानी पन्ना धाय द्वारा चित्तोड़गढ़ से महाराणा प्रताप के पिता कुंवर उदय सिंह को बाल्यावस्था में बनवीर से बचाकर लाया गया था।
इसी धरोहर में महाराणा कुम्भा के पौत्र एवं राणा रायमल के पुत्र कुंवर सांगा (राणा सांगा) और कुंवर पृथ्वीराज का बचपन गुजरा।
इसी धरोहर में किसी से पराजित ना होने वाला महाराणा कुम्भा राज गद्दी की लालसा में मदमस्त अपने पुत्र कुंवर ऊदा सिंह (उदय सिंह प्रथम) के हाथो मारा गया।
यह विश्व प्रसिद्ध विरासत राजसमन्द जिले में अरावली की पहाड़ियों के बीच में स्थित एक विशाल दुर्ग है जिसे कुम्भलगढ़ के अतिरिक्त कुम्भलमेर, मेवाड की आँख, अजयगढ आदि नामों से भी जाना जाता है।
इस दुर्ग की ऊँचाई के लिए अकबर के नवरत्न अबुल फजल ने लिखा है कि यह दुर्ग इतनी अधिक ऊँचाई पर बना है कि ऊपर देखने पर सिर से पगड़ी नीचे गिर जाती है।
यह दुर्ग समुद्र तल से लगभग 1100 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। साथ ही चारों तरफ से पहाड़ों एवं घने जंगल से घिरा हुआ है जिसमे अनेक प्रकार के जंगली जानवरों का निवास है।
इस दुर्ग की एक बड़ी खासियत इसकी लोकेशन भी है। दुर्ग के चारों तरफ स्थित पहाड़ियों की वजह से इस किले की बनावट इस प्रकार की बनी हुई है कि यह दुर्ग बहुत निकट से भी दिखाई नहीं देता है।
संभवतः इसी वजह से इसे हिडन जेम्स भी कहा जाता है। मध्यकालीन युग में इसकी यह संरचना शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करती थी।
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
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