केसरियाजी मंदिर के बारे में अनसुनी रहस्यमय बातें - Kesariyanath Rishabhdev Mandir, इसमें उदयपुर के पास केसरिया जी मंदिर के बारे में जानकारी दी गई है।
अरावली की पहाड़ियों के बीच में कोयल नदी के किनारे पर धुलेव नगर में एक मंदिर है जहाँ पर पहले जैन तीर्थंकर भगवान आदिनाथ या ऋषभदेव की काले पत्थर की प्रतिमा की पूजा की जाती है।
यहाँ पर आने वाले श्रद्धालु इन्हें केसर चढ़ाते हैं जिसकी वजह से इनका नाम केसरियाजी या केसरियानाथ पड़ गया। मंदिर में जैन, हिन्दू और स्थानीय भील आदिवासियों का आना जाना लगा रहता है।
जैन धर्म के लोग इन्हें प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव, हिन्दू धर्म के लोग इन्हें भगवान विष्णु का आठवाँ अवतार और स्थानीय आदिवासी लोग कालिया बाबा के रूप में पूजते हैं।
अपना-अपना धार्मिक स्थल बताते हुए इन तीनों के बीच कई बार पूजा और आराधना को लेकर विवाद की स्थिति बनकर बात कोर्ट तक भी पहुँची है।
ऐसा बताया जाता है कि महाराणा भूपाल सिंह के समय पाकिस्तान बनाने वाले मोहम्मद अली जिन्ना ने भी कोर्ट में एक पक्ष की तरफ से केस लड़ा था।
केसरियानाथ में मेवाड़ के महाराणा फतेह सिंह की बहुत आस्था थी, जिस वजह से इन्होंने प्रतिमा को हीरे से जड़ी सोने की आंगी धारण कराई, जो आज भी प्रतिमा पर मौजूद है।
इस मंदिर की एक खास बात यह भी है कि मेवाड़ के महाराणा इसमें कभी भी नक्कारखाने के पास वाले दूसरे दरवाजे से यानी सामने के दरवाजे से अंदर ना आकर गर्भगृह के पिछले हिस्से में बने दरवाजे से आते थे।
इसका कारण दरवाजे के ऊपर वाली छत में एक सिर से जुड़े पाँच शरीर वाली मूर्ति का होना है। ऐसी मूर्ति को छत्रभंग कहते हैं और ये राजा के लिए अशुभ मानी जाती थी।
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