जंगल के बीच दुनिया का सबसे अनोखा चतुर्मुखी शिवलिंग - Amrakh Mahadev Mandir Udaipur in Hindi

जंगल के बीच दुनिया का सबसे अनोखा चतुर्मुखी शिवलिंग - Amrakh Mahadev Mandir Udaipur in Hindi, इसमें राजा अंबरीश के अमरख महादेव मंदिर की जानकारी है।

Amrakh Mahadev Mandir Udaipur

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आज हम आपको अरावली की पहाड़ियों के बीच घनी हरियाली में मौजूद भोलेनाथ के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिसे राजा से सन्यासी बने अंबरीश ऋषि ने बनवाया था।

वैसे तो यह मंदिर दो-ढाई हजार साल पुराना बताया जाता है लेकिन प्रामाणिक रूप से इसे 12वी शताब्दी का माना जाता है।

उदयपुर में अंबेरी और चीरवा घाटी के पास के जंगल में मौजूद यह प्राचीन मंदिर, अमरख महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। 

एक ऊँचे चबूतरे पर पंचायतन शैली में भोलेनाथ का मंदिर है जिसके किसी समय तीन प्रवेश द्वार हुआ करते थे। मंदिर के गर्भगृह में सफेद पत्थर का चतुर्मुखी शिवलिंग मौजूद है।

शिवलिंग के चार मुखों में से एक, शिव मुख पर गणेश, कार्तिकेय और गौरी माता विराजमान है। शिवलिंग पर इन तीनों के विराजमान होने की वजह से ये प्रतिमा विश्व में सबसे अनोखी और एकमात्र मानी जाती है।

गर्भगृह के सामने की तरफ चबूतरे पर नंदी की प्राचीन प्रतिमा विराजमान है। नंदी के पास ही एक कलात्मक स्तम्भ का निचला आधा हिस्सा मौजूद है।

यह तोड़ा हुआ स्तम्भ मुस्लिम शासकों द्वारा मंदिर को खंडित किये जाने का प्रमाण है। गर्भगृह में प्रवेश के लिए चारों दिशाओं में दरवाजे बने हैं। 

इन दरवाजों में से एक दरवाजा अर्धमंडप के जरिए सभामंडप से जुड़ा हुआ है। मंदिर का सभामंडप स्तंभों पर टिका हुआ है।

पहले इस सभामंडप के गुंबद में सात मातृकाएँ मौजूद थी जिनमें से अब केवल छः ही हैं। ये मौजूद छः मातृकाएँ कौमारी, वैष्णवी, वाराही, इंद्राणी, पार्वती और चामुंडा हैं।


सभामंडप के पास एक किनारे पर माताजी का छोटा मंदिर बना हुआ है। बताया जाता है कि पुराने समय में शिव मंदिर के सभी कोनों पर छोटे देवालय बने हुए थे।

मंदिर के पास में दो कुंड हैं जिनमें एक बड़ा और दूसरा छोटा है। इन दोनों कुंडों में से छोटे कुंड को गंगा कुंड कहा जाता है और इसे गंगा जी का पाया माना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि इस कुंड में साक्षात गंगा नदी बहती है जिसकी वजह से इसमें पूरे साल पानी भरा रहता है। कहते हैं कि गंगाजी की वजह से ये कुंड आज तक कभी भी सूखा नहीं है।

इन दोनों कुंडों में कछुए, मछलियाँ और दूसरे कई तरह के जलीय जीव रहते हैं। गंगा कुंड के पास में ही एक और मंदिर है जिसमें शिवलिंग और हनुमानजी विराजमान हैं।

अमरख महादेव मंदिर परिसर में कई जगह पर काफी सारे हवन कुंड मौजूद हैं जो श्रद्धालुओं के हवन करने के काम में आते हैं। मंदिर के एक तरफ साधु सन्यासियों के रहने के साथ उनका धूणा बना है।

अमरख महादेव मंदिर का इतिहास - History of Amarakh Mahadev Temple


अगर हम अमरख महादेव मंदिर के इतिहास के बारे में बात करें तो ये मंदिर दो ढाई हजार साल पुराना बताया जाता है। 

ऐसा बताया जाता है कि उस समय अपने सांसारिक सुखों को त्यागकर आए राजा अंबरीश इस जगह पर शिवलिंग स्थापित करके भोलेनाथ की पूजा आराधना किया करते थे।

कहते हैं कि अंबरीश अपनी तपस्या के बल पर रोजाना गंगा नदी से जल लाकर भोलेनाथ का अभिषेक किया करते थे।

इनकी आस्था और भक्ति से गंगा माता इतनी ज्यादा खुश हुई कि वो मंदिर के पास के कुंड में जलधारा के रूप में प्रकट हो गई। गंगाजी की वजह से ही इस कुंड को गंगा कुंड कहा जाता है।

अपनी तपस्या और सिद्धियों की वजह से राजा अंबरीश राजा न रहकर अमर ऋषि के नाम से प्रसिद्ध हुए और महादेव का यह मंदिर उनके नाम से अमरख महादेव कहलाया।

अमरख महादेव लेपर्ड कंजर्वेशन रिजर्व - Amarakh Mahadev Leopard Conservation Reserve


अमरख महादेव एरिया में तेंदुओं की काफी ज्यादा भरमार है जिसे देखते हुए राजस्थान सरकार ने 7 अक्टूबर 2023 को अमरख महादेव लैपर्ड कंजर्वेशन रिजर्व की अधिसूचना जारी की थी।

7000 हेक्टेयर में फैले इस रिजर्व एरिया के चारों तरफ 68 किलोमीटर लंबी और छः फीट ऊँची दीवार बनाने के साथ शाकाहारी जीवों के लिए 100 हेक्टेयर एरिया में ग्रासलैंड बनाया जाएगा।

इस कंजर्वेशन रिजर्व एरिया में लैपर्ड सफारी के लिए 33 किलोमीटर, 20.5 किलोमीटर और 53.5 किलोमीटर लंबाई के तीन पेट्रोलिंग ट्रेक भी बनाए जाएँगे।

अमरख महादेव मंदिर कैसे जाएँ? - How to reach Amarakh Mahadev Temple?


अब हम बात करते हैं कि अमरख महादेव मंदिर कैसे जाएँ? महादेव का यह मंदिर उदयपुर में नाथद्वारा रोड़ पर पहाड़ियों के बीच चीरवा घाटी के पास जंगल में बना हुआ है।

उदयपुर रेलवे स्टेशन से इस मंदिर तक की दूरी लगभग 15 किलोमीटर है। उदयपुर रेलवे स्टेशन से मंदिर तक जाने के लिए आपको नाथद्वारा रोड़ पर फूलों की घाटी जाने वाले रास्ते से कुछ पहले लेफ्ट साइड में तोरण द्वार से होकर जाना है।

यह तोरण द्वार अमरख महादेव मंदिर जाने के लिए प्रवेश द्वार है। इस तोरण द्वार से मंदिर की दूरी लगभग 600 मीटर है।

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इस तरह की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

अमरख महादेव मंदिर की मैप लोकेशन - Map Location of Amrakh Mahadev Mandir



अमरख महादेव मंदिर का वीडियो - Video of Amrakh Mahadev Mandir



अमरख महादेव मंदिर की फोटो - Photos of Amrakh Mahadev Mandir


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें। जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट भी हूँ इसलिए मैं लोगों को वीडियो और ब्लॉग के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारियाँ भी देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर ट्रैवल और हेल्थ से संबंधित मेरे लेख पढ़ सकते हैं।

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