शेखावाटी के संस्थापक महाराव शेखाजी - Shekhawati Founder Maharao Shekhaji in Hindi, इसमें शेखावाटी के निर्माता महाराव शेखाजी के बारे में जानकारी है।
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राजस्थान में सीकर, झुंझुनू और चुरू को मिलाकर एक एरिया है जिसे शेखावाटी के नाम से प्रसिद्ध है। इस शेखावाटी एरिया के संस्थापक महाराव शेखाजी थे जिनके नाम से ही इस एरिया को जाना जाता है।
शेखाजी के बाद शेखावाटी एरिया पर इनके वंशजों का शासन रहा जिन्होंने इस एरिया के इतिहास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। शेखाजी के वंशज अपने नाम के आगे शेखावत लगाते हैं।
महाराव शेखाजी को सांप्रदायिक सौहार्द और नारी सम्मान के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले योद्धा के रूप में जाना जाता है।
राव शेखाजी का जन्म विक्रम संवत 1490 (1433 ईस्वी) में विजयादशमी के दिन नायण और बरवाड़ा के जागीरदार मोकल सिंह कछवाहा की रानी निर्बाण की कोख से हुआ।
ऐसा बताया जाता है कि सूफी संत शेख बुरहान रहमतुल्ला अलेह के आशीर्वाद से इनका जन्म हुआ था इसलिए इनका नाम शेखाजी रखा गया।
राव मोकल के पिता राव बालाजी को उनके पिता आमेर के राजा उदयकरण से 12 गाँवों की नायन-बरवाड़ा जागीर मिली थी।
विक्रम संवत 1502 में इनके पिता की मृत्यु होने के बाद ये 12 साल की उम्र में नायन-बरवाड़ा जागीर के जागीरदार बने।
धीरे धीरे इन्होंने अपनी जागीर का विस्तार करके 360 गाँवों पर अधिकार कर लिया और आमेर से अलग एक स्वतंत्र राज्य शेखावाटी की स्थापना की। ऐसा बताया जाता है कि शेखाजी ने अपने जीवन में 52 युद्ध जीते थे।
इन्होंने पन्नी पठानों से संधि करके उनके कबीले को अपने राज्य में जागीर देकर बसाया। आज भी अमरसर के आसपास के एरिया में पन्नी पठानों के वंशज रहते हैं।
महाराव शेखाजी ने अमरसर नगर को बसाने के साथ-साथ अजीतगढ़ के पास शिखरगढ़ बनवाया।
अमरसर में एक बड़ी हवेली जैसे बने शेखागढ़ को शेखाजी की जन्मस्थली माना जाता है। इस गढ़ के एक कमरे पर वीर शिरोमणि महाराव शेखाजी का जन्म स्थान लिखा हुआ है।
वैसे कई प्रचलित मान्यताओं के अनुसार बरवाड़ा, नांण आदि के साथ शेखाजी के ननिहाल त्योंदा गढ़ को इनका जन्मस्थान माना जाता है।
शेखागढ़ के बारे में यह भी बताया जाता है कि यह गढ़ एक सैनिक छावनी हुआ करता था जिसका निर्माण खुद शेखाजी ने विक्रम संवत 1517 में करवाया था।
ऐसा बताया जाता है कि शेखाजी की टाँक रानी इसी गढ़ में रहती थी जिन्होंने इस गढ़ के पास में कल्याणजी का मंदिर बनवाया।
बताया जाता है कि यह गढ़ और मंदिर आपस में एक सुरंग से जुड़े हुए हैं जिसमें से होकर रानी भगवान के दर्शन करने मंदिर में आती थी।
अब इस गढ़ के पीछे शेखाजी का पैनोरमा बनाया गया है जिसमें शेखाजी के जीवन और उससे जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं को दिखाया जाएगा। इस जगह पर शेखाजी की 9 फीट की कांसे की प्रतिमा लगाई गई है।
शेखागढ़ ही वह जगह है जिसके दरवाजे पर शेखाजी ने एक कछवाहा स्त्री का अपमान करने वाले कोलराज गौड़ का सिर काटकर लटका दिया था।
इस घटना के बाद शेखाजी का गौड़ राजपूतों से ग्यारह बार युद्ध हुआ। जीण माता के पास रलावता में घाटवा के युद्ध में लड़ते हुए विक्रम संवत 1545 यानी सन् 1489 को अपने प्राणों का बलिदान दिया।
जिस जगह पर शेखाजी ने अपना बलिदान दिया उस जगह पर इनकी छतरी बनाई गई। इस जगह पर शेखाजी की याद में राजस्थान की पहली सैनिक डिफेन्स एकेडमी बनाई जा रही है।
इस जगह पर घोड़े पर बैठी हुई इनकी प्रतिमा लगाई गई है जिसका अनावरण उस समय की राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने किया था।
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शेखाजी जन्मस्थली शेखागढ़ अमरसर की मैप लोकेशन - Map Location of Shekhaji Birthplace Shekhagarh Amarsar
शेखाजी निर्वाण स्थली रलावता की मैप लोकेशन - Map Location of Shekhaji Nirvan Sthali Ralavata
शेखावाटी के संस्थापक महाराव शेखाजी का वीडियो - Video of Shekhawati Founder Maharao Shekhaji
शेखागढ़ अमरसर की फोटो - Photos of Shekhagarh Amarsar
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
डिस्क्लेमर (Disclaimer)
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Tourism