शेखावाटी की स्थापना करने वाले महाराव शेखाजी - Maharao Shekhaji, इसमें शेखावाटी के संस्थापक और शेखावत वंश के जनक महाराव शेखाजी के बारे में जानकारी है।
शेखावाटी एरिया के संस्थापक महाराव शेखाजी थे जिन्हें शेखावत वंश का जनक माना जाता है। शेखाजी को सांप्रदायिक सौहार्द और नारी सम्मान के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले योद्धा के रूप में जाना जाता है।
राव शेखाजी का जन्म विक्रम संवत 1490 में विजयादशमी के दिन नायण और बरवाड़ा के जागीरदार मोकल सिंह कछवाहा की रानी निर्बाण की कोख से हुआ।
ऐसा बताया जाता है कि सूफी संत शेख बुरहान रहमतुल्ला अलेह के आशीर्वाद से इनका जन्म हुआ था इसलिए इनका नाम शेखाजी रखा गया।
इन्होंने नायन-बरवाड़ा की 12 गाँवों की जागीर का विस्तार करके आमेर से अलग 360 गाँवों के एक स्वतंत्र राज्य शेखावाटी की स्थापना की। ऐसा बताया जाता है कि शेखाजी ने अपने जीवन में 52 युद्ध जीते थे।
अमरसर में एक बड़ी हवेली जैसे बने शेखागढ़ को शेखाजी की जन्मस्थली माना जाता है। इस गढ़ के एक कमरे पर वीर शिरोमणि महाराव शेखाजी का जन्म स्थान लिखा हुआ है।
शेखागढ़ के बारे में यह भी बताया जाता है कि यह गढ़ एक सैनिक छावनी हुआ करता था जिसका निर्माण खुद शेखाजी ने विक्रम संवत 1517 में करवाया था।
अब इस गढ़ के पीछे शेखाजी का पैनोरमा बनाया गया है जिसमें शेखाजी के जीवन और उससे जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं को दिखाया जाएगा। इस जगह पर शेखाजी की 9 फीट की कांसे की प्रतिमा लगाई गई है।
शेखागढ़ ही वह जगह है जिसके दरवाजे पर शेखाजी ने एक कछवाहा स्त्री का अपमान करने वाले कोलराज गौड़ का सिर काटकर लटका दिया था।
इस घटना के बाद शेखाजी का गौड़ राजपूतों से ग्यारह बार युद्ध हुआ। जीण माता के पास रलावता में घाटवा के युद्ध में लड़ते हुए विक्रम संवत 1545 यानी सन् 1489 को इन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दिया।
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
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