भीम की लात से बना भीमलत झरना - Bhimlat Waterfall, इसमें भीम की लात से बने बूंदी और बिजौलिया के बीच मौजूद भीमलत झरने के बारे में जानकारी दी गई है।
भीमलत झरना राजस्थान के सबसे खूबसूरत झरनों में से एक है जो भीलवाड़ा और बूंदी जिले की सीमा पर स्थित एक प्राकृतिक झरना है। इसकी बूंदी जिला मुख्यालय से दूरी लगभग 35 किलोमीटर और बिजौलिया मुख्यालय से दूरी लगभग 20 किलोमीटर है।
कर्नाटक के जोगफाल जैसा दिखाई देने वाला यह झरना 60 मीटर यानी 200 फीट ऊँचाई से नीचे एक कुंड में गिरता है। बारिश के मौसम में यह झरना अपनी पूरी गति से बहने लग जाता है।
नीचे झरने के पास में ही प्राचीन भीमलत महादेव मंदिर है जहाँ तक जाने के लिए कुछ सीढ़ियाँ उतरनी पड़ती हैं। इस मंदिर में प्राकृतिक रूप से भोलेनाथ का अभिषेक पूरे साल होता रहता है।
मंदिर और झरने का संबंध महाबली भीम से है क्योंकि इन दोनों का नाम उनके नाम पर ही है। बताया जाता है कि अपने अज्ञातवास के समय जब पांडव इस जगह पर आए थे तब भीम ने प्यास बुझाने के लिए जमीन में लात से गहरा गड्ढा करके पानी निकाला।
बाद में इस जगह पर एक झरना बहने लगा जिसे भीम की लात से हुए गड्ढे की वजह से भीमलत झरना कहा जाता है। भीम ने ही इस जगह पर भोलेनाथ की पूजा के लिए शिवलिंग स्थापित किया था।
वैसे ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भीमलत और मेनाल वॉटरफॉल दोनों आठवीं शताब्दी में भूकंप के कारण बने थे।
भीमलत झरने में पानी का मुख्य स्त्रोत भीमलत बाँध है जिसमें मेज नदी की सहायक मांगली नदी का पानी आता है। जब ये बाँध ओवरफ्लो हो जाता है तो इसका पानी झरने के रूप में पहाड़ी से नीचे गिरता है।
बारिश के अलावा जब भी सिंचाई के लिए भीमलत से अभयपुरा बाँध में पानी छोड़ा जाता है तब ये झरना चालू हो जाता है क्योंकि ये पानी इस झरने के द्वारा ही अभयपुरा बाँध में जाता है। इसलिए ये झरना आपको सर्दियों में भी देखने को मिल जाता है।
इस जगह की सबसे ज्यादा खास बात ये है कि भीमलत बाँध भीलवाड़ा जिले में और भीमलत झरना बूंदी जिले की सीमा में आता है। बाँध की जिम्मेदारी भीलवाड़ा प्रशासन के जिम्मे और झरने की देखरेख की जिम्मेदारी बूंदी प्रशासन की रहती है।
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
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