पुरोहितों के तालाब से है नीलकंठ महादेव का रिश्ता - Purohiton Ka Talab in Hindi

पुरोहितों के तालाब से है नीलकंठ महादेव का रिश्ता - Purohiton Ka Talab in Hindi, इसमें उदयपुर के पुरोहित जी के तालाब और नीलकंठ महादेव मंदिर की जानकारी है।

Purohiton Ka Talab

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आज हम आपको उदयपुर की ऐसी दो जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जो उदयपुर की स्थापना से काफी पहले की बनी हुई हैं।

इन दोनों जगहों में पहली जगह एक तालाब है जिसे पुरोहितजी का तालाब या पुरोहितों का तालाब कहते हैं, दूसरी जगह एक शिव मंदिर है जिसे नीलकंठ महादेव के नाम से जाना जाता है।

पुरोहितों का तालाब और नीलकंठ महादेव का मंदिर का आपस में पुराना संबंध है क्योंकि इस तालाब का निर्माण शिव मंदिर में पूजा पाठ और यज्ञ के लिए पानी की आपूर्ति के लिए ही हुआ था।

सबसे पहले हम पुरोहितों के तालाब के बारे में बात करते हैं और इसके इतिहास को समझते हैं।

पुरोहितों का तालाब की विशेषता - Speciality of Purohiton Ka Talab


पुरोहितों का तालाब में प्रवेश के लिए हमें टिकट लेना पड़ता है क्योंकि बिना टिकट इस तालाब में प्रवेश नहीं दिया जाता है।

तीन तरफ से अरावली की घनी पहाड़ियों से घिरे इस तालाब के एक तरफ मजबूत पाल बनी हुई है। तालाब की पाल पर पाँच छतरियाँ और दो हाथी बने हैं। तालाब के पानी तक नीचे जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी है।

तालाब की खास बात यह है कि इसमें पूरे साल पानी भरा रहता है, साथ ही इसमें खास तरह की मछलियाँ मौजूद हैं। ये मछलियाँ संरक्षित है और इनका शिकार करना प्रतिबंधित है।

तालाब की पाल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पाल जयसमंद झील की पाल जैसी बनी हुई है जिस वजह से इसे मिनी जयसमंद भी कहा जाता है।

वैसे आपको बता दें कि यह पाल जयसमंद झील की पाल की नकल नहीं है बल्कि जयसमंद झील की पाल इसकी नकल है। इसका कारण यह है कि पुरोहितों के तालाब की पाल, जयसमंद झील की पाल से लगभग 200 साल पुरानी है।

पाल पर एक छोटा बगीचा बना हुआ है जिसमें काफी हरियाली है। इस जगह पर ज्यादातर पर्यटक फोटोग्राफी करते नजर आ जाते हैं। तालाब की पाल पर प्री वेडिंग फोटोशूट भी होते रहते हैं।


पाल के पास की दीवार पर सुंदर चित्रकारी है। इसके ऊपर कुछ प्राचीन कक्ष बने हुए हैं जिनमें अब लोक देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ मौजूद हैं।

ऐसा लगता है कि रियासतकाल में यह कोई छोटा विश्राम घर रहा होगा जो प्रभावशाली लोगों के ठहरने के काम आता होगा। यहाँ बने झरोखे की नक्काशी को देखकर तो ऐसा ही लगता है।

पुरोहितों के तालाब का इतिहास - History of Purohiton Ka Talab


पुरोहितों का तालाब पाँच सौ साल से भी ज्यादा पुराना है जिसका निर्माण महाराणा कुंभा के पुत्र रायमल के शासनकाल में हुआ था। इस तालाब का निर्माण महाराणा रायमल के राजपुरोहित किशनाजी ने करवाया था।

आपको बता दें कि महाराणा प्रताप के पिता महाराणा उदय सिंह से पहले के सभी महाराणा चित्तौड़गढ़ में रहा करते थे जो उस समय मेवाड़ के राजधानी हुआ करती थी।

चित्तौड़ से ही मेवाड़ के महाराणा अपने इष्ट देवता एकलिंगजी के मंदिर में जाते रहते थे। एकलिंगजी जाने के रास्ते पर नीलकंठ महादेव का मंदिर मौजूद था। इस मंदिर में भी महाराणा दर्शन करने के लिए रुकते थे।

महाराणा को मंदिर में यज्ञ और पूजा के साथ पेयजल की जरूरत हुआ करती थी जिस वजह से इनके राजपुरोहित किशनाजी ने मंदिर से थोड़ी दूरी पर एक तालाब का निर्माण करवाया।

समय के साथ इस तालाब को राजपुरोहित के नाम से पुरोहित जी का तालाब या पुरोहितों का तालाब कहा जाने लगा।

नीलकंठ महादेव मंदिर की विशेषता और इतिहास - Speciality and History of Neelkanth Mahadev Mandir


अब हम बात करते हैं नीलकंठ महादेव के मंदिर के बारे में जो कि इस तालाब से लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है।

आज के समय यह मंदिर जैव विविधता पार्क के गेट के पास में मौजूद है लेकिन रियासत काल में यह मंदिर चित्तौड़ से एकलिंगजी मार्ग पर पड़ता था।

जैसा कि हमने आपको अभी पहले बताया कि मेवाड़ के महाराणा एकलिंग के दर्शन करने जाते समय इस मंदिर में भी दर्शन किया करते थे।

मंदिर में मौजूद शिवलिंग उदयपुर की स्थापना से भी काफी पहले का है क्योंकि उदयपुर की स्थापना तो महाराणा प्रताप के पिता महाराणा उदयसिंह ने की थी।

मंदिर ज्यादा बड़ा नहीं है लेकिन देखने में प्राचीन लगता है। मंदिर के गर्भगृह में भोलेनाथ विराजमान है। गर्भगृह के बाहर सभामंडप में नंदी की प्रतिमा मौजूद है।

मंदिर के बाहर एक प्राचीन बावड़ी बनी हुई है जिसका निर्माण शिवलिंग की स्थापना के साथ ही हुआ होना चाहिए क्योंकि महाराणा रायमल के समय पानी की आपूर्ति के लिए तो पुरोहितों का तालाब बना दिया गया था।

पुरोहितों के तालाब और नीलकंठ महादेव मंदिर कैसे जाएँ? - How to reach Purohiton Ka Talab and Neelkanth Mahadev Temple?


अब हम बात करते हैं कि पुरोहितों के तालाब और नीलकंठ महादेव मंदिर कैसे जाएँ? ये दोनों जगह उदयपुर के पास अंबेरी के जंगली एरिया में है। उदयपुर रेलवे स्टेशन से पुरोहितों के तालाब की दूरी लगभग 18 किलोमीटर है।

उदयपुर रेलवे स्टेशन से पुरोहितों के तालाब तक जाने के लिए आपको दो रास्तों में से किसी एक का चुनाव करना होगा।

पहले रास्ते के लिए सुखेर से आगे उदयपुर बायपास पर राइट टर्न लेकर थोड़ा आगे जाना होगा। आगे जाने पर आपको राइट साइड में मौजूद अंबेरी ग्राम पंचायत के ऑफिस के सामने लेफ्ट टर्न लेकर पुरोहितों के तालाब जाना है।

पुरोहितों के तालाब तक जाने के दूसरे रास्ते के लिए सुखेर से आगे उदयपुर बायपास पर राइट टर्न ना लेकर सीधा आगे जाना होगा। आगे फूलों की घाटी के पास रोड़ पर कट में राइट टर्न लेकर सर्विस रोड़ पर जाना है।

इस सर्विस रोड़ पर लेफ्ट लेकर रौंग साइड में थोड़ा आगे जाकर राइट साइड में तथास्तु रिसॉर्ट वाली रोड़ से होते हुए पुरोहितों के तालाब जाना है।

पुरोहितों के तालाब और नीलकंठ महादेव मंदिर की आपस में दूरी लगभग डेढ़ किलोमीटर है। पुरोहित जी का तालाब देखने के बाद आप नीलकंठ महादेव देख सकते हैं।

आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय बताएँ।

इस तरह की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

पुरोहितों के तालाब और नीलकंठ महादेव मंदिर की मैप लोकेशन - Map Location of Purohiton Ka Talab and Neelkanth Mahadev Mandir




पुरोहितों के तालाब और नीलकंठ महादेव मंदिर का वीडियो - Video of Purohiton Ka Talab and Neelkanth Mahadev Mandir



पुरोहितों के तालाब और नीलकंठ महादेव मंदिर की फोटो - Photos of Purohiton Ka Talab and Neelkanth Mahadev Mandir


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें। जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट भी हूँ इसलिए मैं लोगों को वीडियो और ब्लॉग के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारियाँ भी देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर ट्रैवल और हेल्थ से संबंधित मेरे लेख पढ़ सकते हैं।

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