मेनाल के मंदिरों को मिनी खजुराहो क्यों कहा जाता है? - Menal Temples Mini Khajuraho, इसमें मेनाल के महानालेश्वर और सुहावेश्वर मंदिर की जानकारी दी गई है।
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भीलवाड़ा में बिजौलिया के पास 150 फीट की ऊँचाई से गिरने वाला मेनाल का प्रसिद्ध झरना है जो तीन नदियों के संगम पर है। इस त्रिवेणी संगम में मेनाली नदी में कोयला कुंडी खाल और मिंडकी महादेव खाल नदियाँ आकर मिलती हैं।
त्रिवेणी संगम के पास मेनाल के झरने के दोनों किनारों पर यानी नदी के दोनों किनारों पर भोलेनाथ के मंदिरों के दो समूह बने हैं जिनमें से एक महानालेश्वर मंदिर समूह और दूसरा सुहावेश्वर मंदिर समूह है।
इस जगह के मंदिरों की शिल्पकला और मूर्तिकला में खजुराहो के मंदिरों जैसी भव्यता होने के कारण इस जगह को मिनी खजुराहो कहा जाता है।
महानालेश्वर (Mahanaleshwar)) मंदिर समूह परिसर में शैव मठ के साथ कई मंदिरों के अवशेष मौजूद हैं। इस जगह के सबसे प्रमुख मंदिर को मेनाल शिव मंदिर, महानाल मंदिर या महाबलेश्वर मंदिर कहा जाता है।
मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं, अप्सराओं और पौराणिक कथाओं को उकेरा गया है। महानाल का यह मंदिर 11वीं शताब्दी में चौहान राजाओं के शासनकाल में शैव संप्रदाय का एक बड़ा केंद्र था जिसका महत्व एक तीर्थ स्थल के रूप में हुआ करता था।
मंदिर के पास गणेश और गौरी को समर्पित दो छोटे मंदिर मौजूद हैं जिन्हें 8वीं शताब्दी का बना हुआ माना जाता है यानी ये मंदिर इस जगह पर सबसे पुराने हैं। परिसर में चामुंडा, विष्णु आदि के मंदिर भी मौजूद हैं।
पास ही रहने के काम आने वाला शैव मठ है जिसका निर्माण 12 वीं शताब्दी में पृथ्वीराज चौहान द्वितीय के समय संत भावब्रह्मा ने करवाया था। मंदिर परिसर के मुख्य द्वार के सामने हनुमान जी का मंदिर भी आस्था का केंद्र है।
झरने के दूसरी तरफ बने सुहावेश्वर (Suhaveshwar) मंदिर समूह है जिसमें बारिश के मौसम में नदी बहने के कारण जाना मुश्किल हो जाता है। इस परिसर में शिव मंदिर और मठ मौजूद है।
इस जगह के मंदिर को 12 वीं शताब्दी में पृथ्वीराज चौहान द्वितीय की पत्नी सुहिया देवी या सुहाव देवी ने करवाया था। यहाँ पर मौजूद मठ भी ठहरने के लिए काम में आता था।
मेनाल के मंदिरों की लोकेशन - Location of Menal Temples Mini Khajuraho
मेनाल के मंदिरों का वीडियो - Video of Menal Temples Mini Khajuraho
डिस्क्लेमर (Disclaimer)
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