बाँध के पास कछवाहा राजपूतों की कुलदेवी - Jamwai Mata

बाँध के पास कछवाहा राजपूतों की कुलदेवी - Jamwai Mata, इसमें जमवारामगढ़ बाँध के पास कछवाहा राजपूतों की कुलदेवी जमवाय माता के मंदिर की जानकारी दी है।

Jamwai Mata

जयपुर में जमवारामगढ़ की हरी भरी पहाड़ियों में रामगढ़ बाँध के पास कछवाहा राजवंश की कुलदेवी जमवाय माता का प्राचीन मंदिर है।

ऐसा कहा जाता है कि जो माता सतयुग में मंगलाय माता, त्रेतायुग में हड़वाय माता, द्वापर में बुढ़वाय माता के नाम से प्रसिद्ध थी, वही कलयुग में जमवाय माता के नाम से पूजी जा रही है।

जमवाय माता के इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में कछवाहा वंश के संस्थापक दुल्हेराय ने करवाया था। मंदिर निर्माण के पीछे एक अनोखी कहानी है।

12 वीं शताब्दी में आज के जमवारामगढ़ को माँच नगर कहा जाता था जिस पर मीणा राजाओं का शासन था।

ऐसा बताया जाता है कि दौसा पर अधिकार करने के बाद दुल्हेराय कछवाहा ने माँच नगर को जीतने के लिए इस पर आक्रमण कर दिया।


युद्ध की शुरुआत में पराजित होकर जब दुल्हेराय बेहोश हो गए, तब बुढ़वाय माता ने अपनी गाय के साथ उन्हें दर्शन दिए। माता ने गाय के दूध के छींटे देकर राजा और उसकी सेना को नई ताकत दी जिससे युद्ध में उनकी जीत हुई।

जिस जगह पर दुल्हेराय को माता ने दर्शन दिए, उस जगह पर उन्होंने माता का मंदिर अपनी कुलदेवी के रूप में बनवाया। माता की वजह से जीवनदान मिलने के कारण इनका नाम जमवाय माता रखा गया।

इसके अलावा दुल्हेराय ने कुलदेवी जमवाय और अपने आराध्य देव रामजी के नाम पर इस जगह का नाम माँच नगर से बदल कर जमवारामगढ़ रख कर इसे दौसा के बाद अपनी दूसरी राजधानी बनाया।

ऐसा बताया जाता है कि उस समय ऐसी मान्यता थी कि जब तक राजकुमारों से जमवाय माता के धोक नहीं लगवा ली जाती, तब तक उन्हें रनिवास से बाहर नहीं निकाला जाता था।

जमवाय माता का मंदिर वट वृक्ष की छाया में बना हुआ है जिसके गर्भगृह में माता की प्रतिमा है। इनके एक तरफ गाय और बछड़ा जबकि दूसरी तरफ बुढ़वाय माता की प्रतिमा है।

मंदिर में शिवालय के साथ भैरव, चौसठ योगिनी, गणेश, हनुमान और भोमियाजी भी विराजित हैं। कछवाहा वंश के सभी लोग बालकों का मुंडन संस्कार और विवाह के बाद नवविवाहित जोड़े को धोक लगाने के लिए मंदिर में लाते हैं।

कुछ लोग इस जगह को शक्तिपीठ मानते हैं क्योंकि उनका विश्वास है कि इस जगह पर सती माता की तर्जनी उंगली गिरी थी।

जमवाय माता के मंदिर के सामने ही रघुनाथ जी का मंदिर है। आपको बता दें कि कछवाहा वंश को भगवान राम के पुत्र कुश का वंशज माना जाता है।

जमवाय माता मंदिर की मैप लोकेशन - Map location of Jamwai Mata



जमवाय माता मंदिर का वीडियो - Video of Jamwai Mata



डिस्क्लेमर (Disclaimer)

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रमेश शर्मा

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील – हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख सकते हैं: ramesh3460@gmail.com

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