Alsubah Ki Bhor Poem, इसमें अलसुबह की भोर शीर्षक से जीवन के अलग-अलग पहलुओं के बारें में दर्शाते हुए जीवन को सही ढंग से जीने की प्रेरणा दी गई है।
अलसुबह की भोर कविता के बोल - Lyrics of Alsubah Ki Bhor Poem
अलसुबह की भोर
रात के अन्धकार को समाप्त करके
नित एक नवीन सन्देश देती है
भरती है एक नई ऊर्जा और जोश मन में
कुछ नया करने को प्रेरित करती है।
अलसुबह की भोर
नए नए प्राकृतिक दृश्यों को जन्म देती है
नवागंतुक दिन को खुशनुमा बनाने के लिए उसकी नींव बनती है
सम्पूर्ण दिवस के लिए नया जुनून और जुझारूपन पैदा करती है
यदा कदा हमें अचंभित भी करती रहती है।
अलसुबह की भोर
मंदिरों में पूजा अर्चना, घंटियों की मनमोहक ध्वनि के माध्यम से
मस्जिदों में अजान और गुरुद्वारों में गुरु वाणी के माध्यम से
सभी का मन श्रद्धा और आस्था से भर कर
परमात्मा की निकटता का आभास कराकर
उद्विग्न और व्याकुल चित्त को शांत कर देती है।
अलसुबह की भोर
पंछियों को अपना नीड़ छोड़कर
दानापानी की तलाश में यहाँ वहाँ
उड़ने को मजबूर करती है ताकि वे
अपने बच्चों के लिए भोजन का प्रबंध कर सके।
अलसुबह की भोर
उद्यान में भ्रमण को जाने वालों के दिल को प्रसन्न कर देती है
प्राकृतिक सुन्दरता की अद्भुत छटाओं को जन्म देती है
फूलों, पत्तों और नर्म घास पर निर्मल ओस की बूंदें बिखेरती है
भ्रमर को गुंजन और कोयल को कूकने की प्रेरणा देती है।
अलसुबह की भोर
तितलियों की तरह चंचल महसूस होती है
मयूर के फैले हुए पंखों के रंगों में कृष्ण मुकुट के दर्शन कराती है
मुर्गे की बांग के माध्यम से समय की पाबंदी और शाश्वत कर्म का सन्देश देती है
परिंदों के कलरव से एकजुटता और अपनेपन को प्रदर्शित करती है।
अलसुबह की भोर
हर रुत में अपना भिन्न भिन्न रूप प्रदर्शित करती है
सर्दी में कठोरता, गर्मी में खुश्कता
बारिश में कोमलता और बसंत में मनमोहकता
प्रदर्शित करते हुए विभिन्नता में एकता का सन्देश देती है।
अलसुबह की भोर
सिर्फ और सिर्फ खुशनसीबों को ही नसीब होती है जो ब्रह्म मुहूर्त में जागते हैं
ये उन महानुभावों को नसीब नहीं होती
जो प्रकृति के नियमों को चुनौती देते हुए
निशाचरों की तरह रात भर जागते हैं और मध्यान्ह तक निद्रा में डूबे रहते हैं।
अलसुबह की भोर का वीडियो - Video of Alsubah Ki Bhor Poem
अस्वीकरण (Disclaimer):
इस कविता की समस्त रचनात्मक सामग्री रमेश शर्मा की मौलिक रचना है। कविता में व्यक्त विचार, भावनाएँ और दृष्टिकोण लेखक के स्वयं के हैं। इस रचना की किसी भी प्रकार की नकल, पुनर्प्रकाशन या व्यावसायिक उपयोग लेखक की लिखित अनुमति के बिना वर्जित है।
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Poetry
