Pharmacy and Pharmacist Poem, इसमें फार्मेसी और फार्मासिस्ट नामक कविता के माध्यम से फार्मेसी फील्ड के महत्व और फार्मासिस्ट के योगदान की जानकारी है।
फार्मेसी और फार्मासिस्ट कविता के बोल - Lyrics of Pharmacy and Pharmacist Poem
लैब की खामोशी में, उगता एक उजाला है,
सफ़ेद कोट ओढ़े कोई, मानवता का रखवाला है।
नाड़ी की तरह चलता, रिसर्च का सिलसिला,
हर बीमारी से लड़ने का, ढूंढ़ता वो रास्ता नया।
कभी रातें जागकर, कभी दिन को भूलकर,
उम्मीद के लिए वो अपना सब कुछ छोड़कर…
वो ही तो दवाइयों का जन्मदाता है,
हर दर्द का साथी, हर दिल का नाता है।
भारत का फार्मासिस्ट, इंसानियत का पहरेदार,
जीवन की राहों में बनता जन-जन का आधार।
फार्मेसी सिर्फ डिग्री नहीं, जिम्मेदारी भारी है,
हर गोली, हर डोज, उसकी गहरी तैयारी है।
सेवा में खड़ा हर फार्मासिस्ट बेमिसाल है
फार्मेसी सिर्फ प्रोफेशन नहीं, सेवा की मिसाल है।
कभी माँ की दुआ बनकर,
कभी बच्चों की आस बनकर,
वो खड़े रहता है हर मुश्किल में,
जीवन की साँस बनकर…
कभी काउंटर पर मुस्कान से भरोसा देता है,
कभी अस्पताल में खड़े रहकर जीवन बचाता है।
हॉस्पिटल, प्रैक्टिकल या रिसर्च की दुनिया,
इसकी मेहनत से बढ़ता है भारत का रुतबा।
हाँ, वही दवाइयों का जन्मदाता है,
कभी वैज्ञानिक, कभी समाज का रक्षक बन जाता है।
भारत का फार्मासिस्ट, योद्धा बिना हथियार,
दर्द मिटाकर दे देता है जीवन में फिर प्यार।
दवा की शीशी में सिर्फ केमिकल नहीं, करुणा भी घुली है,
हर फार्मासिस्ट की नसों में सेवा की धुन बजी है।
महामारी हो, संकट हो या कोई नई चुनौती,
भारत का फार्मासिस्ट सबसे आगे है जी।
जब-जब दुनिया पूछे, कौन है असली सृजनहार?
जो दवा बनाकर देता जीवन को फिर नया उपहार?
गर्व से गूंजे एक ही नाम हर दिल में बार-बार
“वो फार्मासिस्ट… जो है मानवता का आधार!”
“वो फार्मासिस्ट… जो है मानवता का आधार!”
फार्मेसी और फार्मासिस्ट कविता का वीडियो - Video of Pharmacy and Pharmacist Poem
अस्वीकरण (Disclaimer):
इस कविता की समस्त रचनात्मक सामग्री रमेश शर्मा की मौलिक रचना है। कविता में व्यक्त विचार, भावनाएँ और दृष्टिकोण लेखक के स्वयं के हैं। इस रचना की किसी भी प्रकार की नकल, पुनर्प्रकाशन या व्यावसायिक उपयोग लेखक की लिखित अनुमति के बिना वर्जित है।
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Poetry
