यही बुढ़ापा है कविता - Yahi Budhapa Hai Poem

Yahi Budhapa Hai Poem, इसमें यही बुढ़ापा है नामक कविता के माध्यम से इंसान के जीवन की संध्या के समय मन में उठती भावनाओं के बारे में जानकारी दी है।

Yahi Budhapa Hai Poem

यही बुढ़ापा है कविता के बोल - Lyrics of Yahi Budhapa Hai Poem


जब यौवन ढल-ढल जाता है
जब यौवन पतझड़ बन जाता है
जब स्वास्थ्य कहीं खोने लगता है
जब शरीर क्षीण होने लगता है
शायद यही बुढ़ापा है।

जब सत्ता छिनती जाती है
जब सुना अनसुना होने लगता है
जब कोई पास नहीं रुकता है
जब खून के रिश्ते रोते हैं
शायद यही बुढ़ापा है।

जब कुछ कर नहीं पाते हैं
जब मन मसोसकर रह जाते हैं
जब बीते दिन बिसराते हैं
जब वक्त और हालात बदल नहीं पाते हैं
शायद यही बुढ़ापा है।

जब मन में ज्वार-भाटे उठते हैं
जब हर मौसम बेदम लगता है
जब पुराने दरख्तों से तुलना होती है
जब मन विचलित शंकित रहता है
शायद यही बुढ़ापा है।


जब दैहिक प्रेम कम होने लगता है
जब आत्मिक प्रेम बढ़ने लगता है
जब समय रुपी दर्पण नए चेहरे दिखाता है
जब कर्मों का फल याद आता है
शायद यही बुढ़ापा है।

जब हर वक्त अकेलापन रुलाता है
जब वक्त काटना दूभर हो जाता है
जब हर पल दिल घबराता है
जब यादों का भंवर कचोटता है
शायद यही बुढ़ापा है।

जब खून के रिश्ते रंग दिखाते हैं
जब अपनो से उपेक्षा पाते हैं
जब बोझ समझ लिया जाता है
जब अहसान गिनाये जाते हैं
शायद यही बुढ़ापा है।

इस उम्र में बस एक रिश्ता
जो सब रिश्तों में अनोखा होता है
यह खून का नहीं, जिस्मों का नहीं
रूहों का रिश्ता होता है।

यह रिश्ता बढ़ती उम्र के साथ
दिन पर दिन गहराता है
जब मौत एक को आती है
दूजा बिन मरे ही मर जाता है।

जीवनसाथी का ये रिश्ता
सुख दुःख का सच्चा साथी है
दीये में जब हो तेल खतम
तो बाती भी बुझ जाती है।

ऐसे ही जवानी जाती है
और वक्त सदा ठुकराता है
बेसहारा जीवन का ये दौर
शायद यही बुढ़ापा है।

यही बुढ़ापा है कविता का वीडियो - Video of Yahi Budhapa Hai Poem



अस्वीकरण (Disclaimer):

इस कविता की समस्त रचनात्मक सामग्री रमेश शर्मा की मौलिक रचना है। कविता में व्यक्त विचार, भावनाएँ और दृष्टिकोण लेखक के स्वयं के हैं। इस रचना की किसी भी प्रकार की नकल, पुनर्प्रकाशन या व्यावसायिक उपयोग लेखक की लिखित अनुमति के बिना वर्जित है।
Ramesh Sharma

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील, हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। इसके साथ मुझे अलग-अलग एरिया के लोगों से मिलकर उनके जीवन, रहन-सहन, खान-पान, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानना भी अच्छा लगता है। साथ ही मैं कई विषयों के ऊपर कविताएँ भी लिखने का शौकीन हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख

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