औरंगजेब की कब्र की कहानी - Aurangzeb Tomb

औरंगजेब की कब्र की कहानी - Aurangzeb Tomb, इसमें औरंगाबाद या छत्रपति संभाजीनगर के पास खुल्दाबाद में मौजूद मुगल बादशाह औरंगजेब के मकबरे की जानकारी है।

Aurangzeb Tomb

औरंगजेब ने 49 साल तक राज किया जिसमें से उसके जीवन के अंतिम 25 साल मराठा शासकों से लड़ते हुए गुजरे।

औरंगजेब सूफी संतों को बहुत मानता था, इस वजह से उसे सूफी संतों के लिए प्रसिद्ध रौजा नाम की जगह से विशेष लगाव था। यह जगह औरंगाबाद से 25 किलोमीटर दूर है।

आज के समय रौजा नाम की इस जगह को खुल्दाबाद और औरंगाबाद को छत्रपति संभाजीनगर के नाम से जाना जाता है। 

औरंगजेब की मृत्यु 1707 ईस्वी में महाराष्ट्र के अहमदनगर में 88 साल की उम्र में हुई थी लेकिन उसकी इच्छा के अनुसार उसे खुल्दाबाद में सूफी संत जैनुद्दीन शिराजी की दरगाह के पास दफनाया गया।

इस तरह मुगल सम्राट औरंगजेब की कब्र या मकबरा छत्रपति संभाजीनगर के पास खुल्दाबाद में मौजूद है। औरंगजेब की कब्र को उसकी वसीयत के अनुसार उसके खुद के कमाए हुए पैसे से बनाया गया।

औरंगजेब की कब्र बेहद साधारण और खुली छत के नीचे है। कब्र के ऊपर केवल मिट्टी के साथ एक छोटा सा सब्जा यानी तुलसी का पौधा है। कब्र के पास मौजूद पत्थर पर उसका पूरा नाम लिखा है।

ऐसा बताया जाता है कि औरंगजेब की कब्र बनाने में सिर्फ 14 रुपए 12 आने खर्च हुए और ये पैसे भी उसने टोपियाँ बुनकर खुद कमाए थे।

दरअसल औरंगजेब काफी साधारण जीवन जीता था। वह अपने निजी खर्च के लिए टोपियाँ सिला करता था। उसने हाथ से कुरान भी लिखी थी।

बादशाह के रूप में औरंगजेब ऐसा क्रूर शासक था जिसने अपने पिता को कैद में रखा और अपने भाइयों और भतीजों को मार डाला। उसने पूरे भारत में मंदिरों को तोड़ने का अभियान चलाया।

दरअसल वह भारत को दारुल इस्लाम यानी इस्लाम का घर बनाना चाहता था लेकिन दक्षिण भारत में मराठों ने उसके मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया जिनमें छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम प्रमुख है।



लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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रमेश शर्मा

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील – हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख सकते हैं: ramesh3460@gmail.com

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