इतिहास की कहानी कहते प्राचीन जैन मंदिरों के अवशेष - Ruined Jain Temples of Jawar in Hindi, इसमें जावर कस्बे के प्राचीन जैन मंदिरों की जानकारी है।
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जावर कस्बा जिंक और चाँदी के खनन के कारण दो हजार साल पहले ही काफी विकसित हो गया था। बताया जाता है कि मेवाड़ को राजस्व का आधा हिस्सा अकेले जावर से मिलता था।
जावर कस्बे के विकसित होने की सबसे बड़ी वजह यहाँ की जमीन में चाँदी और जस्ते के भंडार तो थे ही, इसके साथ एक दूसरी वजह इसकी दिल्ली-गुजरात के प्रमुख व्यापारिक मार्ग पर मौजूदगी थी।
व्यापारिक मार्ग पर होने की वजह से जावर में अनेक व्यापारियों का आना जाना लगा रहता था। धीरे-धीरे इनमें से कई व्यापारियों ने अपने रहने के लिए जावर में निवास बनाना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे जावर में काफी ज्यादा जैन व्यापारी रहने लग गए। समय के साथ इन व्यापारियों ने कई जैन मंदिरों का निर्माण करवाया जिनमें से कइयों के अवशेष आज भी जावर में मौजूद हैं।
जावर में जैन धर्म का प्रभाव इतना ज्यादा था कि यहाँ पर कई प्रसिद्ध जैन मुनियों का आगमन भी हुआ था। बताया जाता है कि एक समय जावर में 300 से भी ज्यादा जैन और हिन्दू मंदिर थे।
आज हम आपको कुछ जैन मंदिरों के बारे में बताते हैं जो जावर में रामनाथ मंदिर से नॉर्थ बारोई खदान के बीच की सड़क के दोनों तरफ मौजूद हैं।
अब इन सभी मंदिरों के अवशेष मात्र ही मौजूद हैं जो बनावट में एक जैसे ही दिखाई देते हैं। इनमें नॉर्थ बारोई खदान के पास पंचबलायती जैन मंदिर और उसके पास मौजूद पार्श्वनाथ मंदिर अपने समय के प्रसिद्ध मंदिर थे।
पंचबलायती मंदिर दिगम्बर जैन धर्म को समर्पित माना जाता है जिसके लंबे गर्भगृह में किसी समय पाँच जैन तीर्थंकरों की मूर्तियाँ थी जिनमें महावीर स्वामी, पार्श्वनाथ, नेमिनाथ, मल्लिनाथ और वसुपूज्य शामिल थे।
लंबे आयताकार गर्भगृह के सामने स्तंभों पर टिके सभामंडप के अवशेष मौजूद है। खास बात यह है कि इस मंदिर में पाँच शिखर ना होकर 3 शिखर ही बनाए गए थे।
पंचबलायती जैन मंदिर के पास एक परिसर में पार्श्वनाथ जैन मंदिर के अवशेष मौजूद हैं। इस परिसर में दो मंदिर बने हैं जिनके शिखर और गर्भगृह अभी भी सुरक्षित हैं।
इन मंदिरों के सभामंडप नष्ट हो चुके हैं लेकिन सभामंडप के स्तम्भ अभी भी सुरक्षित हैं। पास ही एक चबूतरे पर कुछ स्तंभों और तोरण के अवशेष हैं।
पार्श्वनाथ मंदिर के सामने की तरफ सड़क के किनारे और उससे थोड़ा आगे एकदम जर्जर अवस्था में कुछ और जैन मंदिर मौजूद हैं। ये मंदिर इतने ज्यादा जर्जर हो चुके हैं कि कभी भी गिर सकते हैं।
इन मंदिरों के आसपास चारों तरफ घास और जंगली पौधे उग गए हैं जिनके अंदर आपको कई सुंदर प्रतिमाओं के अवशेष नजर आ जाएँगे।
अगर आप इतिहास को जानने में रुचि रखते है और पुरानी धरोहरों को करीब से देखना चाहते हैं, तो जब भी कभी आपको जावर जाने का मौका मिले तो इन मंदिरों पर एक नजर जरूर डालनी चाहिए।
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इस तरह की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।
जावर के प्राचीन जैन मंदिरों की मैप लोकेशन - Map Location of Ruined Jain Temples of Jawar
जावर के प्राचीन जैन मंदिरों का वीडियो - Video of Ruined Jain Temples of Jawar
जावर के प्राचीन जैन मंदिरों की फोटो - Photos of Ruined Jain Temples of Jawar
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
डिस्क्लेमर (Disclaimer)
इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
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Tourism