अकबर ने चित्तौड़गढ़ में कत्लेआम क्यों किया? - Why did Akbar kill people in Chittorgarh?

अकबर ने चित्तौड़गढ़ में कत्लेआम क्यों किया? - Why did Akbar kill people in Chittorgarh? इसमें मुगल बादशाह अकबर की चित्तौड़ विजय के बारे में जानकारी है।

Why did Akbar kill people in Chittorgarh

राजस्थान का चित्तौड़गढ़ किला मेवाड़ का गौरव होने के साथ-साथ साहस और बलिदान का प्रतीक था लेकिन सन 1568 में इस किले की दीवारों ने एक ऐसी त्रासदी देखी जिसमें हजारों लोगों का नरसंहार हुआ।

यह घटना मुग़ल बादशाह अकबर से जुड़ी हुई है जिसे सभी मुगल बादशाहों में सबसे ज्यादा सहिष्णु माना जाता है, लेकिन अपने शुरुआती दिनों में चित्तोड़ विजय के समय अकबर ने एक क्रूर बादशाह की तरह बर्ताव करके हजारों लोगों को मरवा दिया था।

अपने राज्य का विस्तार करके पूरे हिंदुस्तान पर बादशाहत करने के इरादे से अकबर ने मेवाड़ के राणा उदय सिंह द्वितीय को अधीनता स्वीकार करने के लिए कहा, लेकिन उदयसिंह ने मना कर दिया।

अकबर ने इसके जवाब में अक्टूबर 1567 में 50,000 सैनिकों और भारी तोपों के साथ चित्तौड़ के किले को घेर लिया। आपको बता दें कि चित्तौड़गढ़ दुर्ग के घेरे जाने से पहले ही राणा उदयसिंह किले की जिम्मेदारी जयमल राठौड़ और फत्ता सिसोदिया जैसे योद्धाओं को सौंपकर गोगुन्दा के जंगलों में जा चुके थे।


लगभग पाँच महीने तक यानि फरवरी 1568 तक अकबर की सेना ने चित्तौड़गढ़ को घेरे रखा। धीरे-धीरे किले में खाने पीने की कमी होने लगी तो राजपूतों ने अंतिम उपाय साका करने का निर्णय लिया।

फरवरी 1568 में चित्तोड़ का यह तीसरा शाका हुआ जिसमें पत्ता सिसोदिया की पत्नी रानी फूलकंवर के नेतृत्व में हजारों महिलाओं ने अपने मानसम्मान की रक्षा के लिए अग्निकुंड में जौहर किया।

जौहर होने के बाद लगभग 8000 राजपूत योद्धाओं ने जयमल और पत्ता के नेतृत्व में केसरिया करते हुए अकबर की सेना से लड़ते हुए अपने प्राण त्यागे।

इस तरह 23 फरवरी, 1568 को अकबर ने चित्तौड़गढ़ पर विजय प्राप्त की। लेकिन जब अकबर किले में पहुँचा तब उसे किले में बर्बादी और लाशों बीच निरपराध जनता के अलावा कुछ नहीं मिला।

नाराज होकर अकबर ने किले में रहने वाले आम नागरिकों के नरसंहार का आदेश दे दिया। ऐसा बताया जाता है कि अकबर ने किले में मौजूद लगभग तीस हजार लोगों को मरवाने के साथ महिलाओं और बच्चों को गुलाम बनाया।

ऐसा बताया जाता है कि इस घटना का उल्लेख मुगल इतिहासकार अबुल फजल ने अपनी पुस्तक अकबरनामा में भी किया है।

ये बात सही है कि अकबर की चित्तोड़ विजय ने उसके साम्राज्य को मजबूती दी लेकिन इस नरसंहार ने उसके शासन पर एक विवादास्पद दाग भी छोड़ा जिसे वो अपने बाकी जीवन में धो नहीं पाया।

अकबर की चित्तौड़गढ़ विजय का वीडियो - Video of Chottorgarh Fort Victory of Akbar



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रमेश शर्मा

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील – हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख सकते हैं: ramesh3460@gmail.com

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