अमर सपूत शहीद सुल्तान सिंह - Shaheed Sultan Singh

अमर सपूत शहीद सुल्तान सिंह - Shaheed Sultan Singh, इसमें श्रीमाधोपुर के बागरियावास गाँव के सेना मेडल प्राप्त शहीद सुल्तान सिंह के बारे में जानकारी है।

Shaheed Sultan Singh

राजस्थान की धरती सदियों से वीरता और बलिदान की गाथाओं से भरी पड़ी है। यहाँ का हर गाँव देशभक्ति और शौर्य का प्रतीक रहा है।

श्रीमाधोपुर उपखंड के छोटे से गाँव बागरियावास ने भी भारत माता की रक्षा के लिए अपना एक अमूल्य लाल खोया है – अमर शहीद सुल्तान सिंह। उनका जीवन केवल उनके गाँव के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है।

जन्म और प्रारंभिक जीवन


शहीद सुल्तान सिंह का जन्म 15 अगस्त 1983 को बागरियावास गाँव में हुआ। यह वही दिन है जब भारत ने अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्रता प्राप्त की थी।

संयोग से स्वतंत्रता दिवस पर जन्म लेना जैसे उनके जीवन का संकेत था कि वे एक दिन देश के लिए ही समर्पित होंगे। साधारण ग्रामीण परिवार से आने के बावजूद उनके सपने बड़े थे, और वे मातृभूमि की सेवा के मार्ग पर अग्रसर हुए।


भारतीय सेना में सेवा


सुल्तान सिंह ने देशसेवा के संकल्प को पूरा करने के लिए भारतीय सेना की 12 जाट रेजीमेंट में अपनी सेवा दी। युवा उम्र में ही उन्होंने अनुशासन, साहस और कर्तव्यनिष्ठा से अपने साथियों और अधिकारियों का सम्मान प्राप्त कर लिया। चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, वे हमेशा सबसे आगे खड़े होकर जिम्मेदारी निभाते थे।

शहादत : ऑपरेशन रक्षक


22 अगस्त 2008 का दिन इतिहास में दर्ज हो गया। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में चल रहे ‘ऑपरेशन रक्षक’ के दौरान आतंकियों से मुकाबला करते हुए सुल्तान सिंह ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया।

दुश्मनों को मात देते हुए वे मातृभूमि की रक्षा में शहीद हो गए। उनकी शहादत ने पूरे गाँव, जिले और राजस्थान का मस्तक गर्व से ऊँचा कर दिया। उनकी वीरता के सम्मान में उन्हें सेना मेडल भी प्रदान किया गया।

स्मारक : शौर्य का प्रतीक


बागरियावास गाँव में अजीतगढ़ श्रीमाधोपुर मुख्य सड़क पर ‘अमर शहीद सुल्तान सिंह स्मारक’ बना हुआ है, जो उनकी यादों को जीवंत बनाए हुए है।

👉 स्मारक के मुख्य द्वार पर लगी पट्टिका पर उनका नाम, जन्म व शहादत की तारीख और सेना मेडल का उल्लेख है।

👉 गुंबदनुमा संरचना के नीचे उनकी प्रतिमा स्थापित है, जिसमें वे सेना की वर्दी में राइफल लिए खड़े दिखाई देते हैं। यह प्रतिमा उनकी निडरता और वीरता का प्रतीक है।

👉 चारदीवारी तिरंगे के रंगों से सजी है, जो राष्ट्रप्रेम का संदेश देती है।

👉 स्मारक की दीवारों और सीढ़ियों पर उनके जीवन और बलिदान से जुड़ी जानकारियाँ उकेरी गई हैं।

👉 प्रवेश द्वार से अंदर जाते ही वातावरण श्रद्धा और गर्व से भर जाता है।

स्मारक पर अंकित शब्द “जय जवान, जय किसान” इस स्थान को और भी पवित्र बना देते हैं।

प्रेरणा का स्रोत


यह स्मारक केवल एक पत्थर की संरचना नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रेरणा है। गाँव के युवा यहाँ आकर शहीद सुल्तान सिंह के साहस और बलिदान से ऊर्जा प्राप्त करते हैं।

आगंतुक और ग्रामीण जब उनकी प्रतिमा को नमन करते हैं, तो मन में यह संदेश गूंजता है कि स्वतंत्रता और सुरक्षा की कीमत बेहद बड़ी है, और इसके लिए असंख्य वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी है।

निष्कर्ष


शहीद सुल्तान सिंह का जीवन और बलिदान हमें यह सिखाता है कि सच्चा देशभक्त वही है, जो मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने से भी पीछे न हटे।

बागरियावास गाँव का यह वीर सपूत हमेशा अमर रहेगा। उनका स्मारक आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देता रहेगा कि देशप्रेम केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्म और त्याग में निहित है।

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें क्योंकि इसे आपको केवल जागरूक करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। मैं अक्सर किसी किले, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरने, पहाड़, झील आदि के करीब चला जाता हूँ। मुझे अनजाने ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी देने के साथ ऐसी छोटी कविताएँ लिखने का भी शौक है जिनमें कुछ सन्देश छिपा हो। इसके अलावा, एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे डिजीज, मेडिसिन्स, लाइफस्टाइल और हेल्थकेयर आदि के बारे में भी जानकारी है। अपनी शिक्षा और शौक की वजह से जो कुछ भी मैं जानता हूँ, मैं उसकी जानकारी ब्लॉग आर्टिकल और वीडियो के माध्यम से सभी को देता रहता हूँ। आप ShriMadhopur.com ब्लॉग से जुड़कर मेरे आर्टिकल पढ़ सकते हैं, साथ ही सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर @ShriMadhopurWeb पर फॉलो भी कर सकते हैं।

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