Jai Ho Dharti ShriMadhopur Ki Poem, इसमें जय हो धरती श्रीमाधोपुर की नामक शीर्षक की कविता के माध्यम से श्रीमाधोपुर के गौरवशाली इतिहास की जानकारी है।
जय हो धरती श्रीमाधोपुर की कविता के बोल - Lyrics of Jai Ho Dharti ShriMadhopur Ki Poem
जयपुर से कई कोस दूर कहीं,
एक नगरी बसी बड़ी शान से।
जहाँ संस्कृति और व्यापार का संगम है,
वो प्यारा नगर है श्रीमाधोपुर के नाम से।
कभी खेतों में सोना उगता था यहाँ,
बर्तनों की खनक में जीवन था यहाँ।
अब कदम बढ़ रहे नई राहों पे,
हर दिल में बसता है ये जहाँ।
मिट्टी में महक है श्रीमाधोपुर की,
हर गली में कहानी है पुरखों की।
खेजड़ी की छाँव तले इतिहास जगा,
जय हो धरती श्रीमाधोपुर की।
जय हो धरती श्रीमाधोपुर की।
था उस समय सवाई माधोसिंह का राज,
जब हाँसापुर में हुआ विद्रोह का आगाज।
कर रोक दिए सामंतों ने सब,
तो पहुँचे खुशाली राम दीवान तब।
कचियागढ़ में डेरा लगाया उन्होंने,
एक कच्चा गढ़ वहीं बनवाया उन्होंने।
हाँसापुर-फुसापुर के विद्रोह को दबाया उन्होंने,
और नगर बसाने का सपना सजाया उन्होंने।
अक्षय तृतीया का था शुभ दिन,
वैशाख शुक्ल तृतीया, पावन क्षण।
सतरा सौ इकसठ में रखी नीव यहाँ
खेजड़ी के तले जन्म श्रीमाधोपुर तब
आज भी वो वृक्ष गवाही देता है,
शिवालय के पीछे अब भी खड़ा रहता है।
ढाई सौ बरस की कथा समेटे,
हर हवा में इतिहास कहता है।
मिट्टी में महक है श्रीमाधोपुर की,
हर गली में कहानी है पुरखों की।
गोपीनाथ मंदिर की घंटियाँ पुकारें,
जय हो धरती श्रीमाधोपुर की।
जय हो धरती श्रीमाधोपुर की।
दरवाजे वाले बालाजी के मंदिर पर,
जहाँ से नगर का प्रवेश हुआ आरंभ।
बनने थे बारह बुर्ज और चार दरवाज़े,
जयपुर की तर्ज़ पर बना ये शहर।
समकोण पर काटती सड़कों का मान,
वैज्ञानिक योजना का सुंदर प्रमाण।
गढ़, हवेली, चौपड़, शिवालय,
सब कहते हैं “हम हैं श्रीमाधोपुर की पहचान।”
आज आधुनिकता की लहर चली,
पर इतिहास अब भी यहाँ पलता है।
हम सबकी जिम्मेदारी यही,
कि धरोहर का हर रंग बचता है।
आओ हर अक्षय तृतीया पर,
खेजड़ी तले दीप जलाएँ।
नगर की नींव को याद करें,
और अपने श्रीमाधोपुर को सजाएँ।
ये मिट्टी में महक है श्रीमाधोपुर की,
हर दिल में धड़कन है पुरखों की।
खेजड़ी, शिवालय, गोपीनाथ की शान,
जय हो धरती श्रीमाधोपुर की... जय हो श्रीमाधोपुर की...!
“यह खेजड़ी का पेड़ सिर्फ एक वृक्ष नहीं,
बल्कि श्रीमाधोपुर की आत्मा है…
ढाई सौ सालों से यह हमें हमारी जड़ों से जोड़ रहा है।
आओ, अपनी इस धरोहर को बचाएँ,
और हर अक्षय तृतीया पर
श्रीमाधोपुर का स्थापना दिवस मनाएँ।”
मिट्टी खंडेला री कविता का वीडियो - Video of Jai Ho Dharti ShriMadhopur Ki Poem
अस्वीकरण (Disclaimer):
इस कविता की समस्त रचनात्मक सामग्री रमेश शर्मा की मौलिक रचना है। कविता में व्यक्त विचार, भावनाएँ और दृष्टिकोण लेखक के स्वयं के हैं। इस रचना की किसी भी प्रकार की नकल, पुनर्प्रकाशन या व्यावसायिक उपयोग लेखक की लिखित अनुमति के बिना वर्जित है।
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Poetry
