O Mere ShriMadhopur Poem, इसमें ओ मेरे श्रीमाधोपुर नामक शीर्षक की कविता के माध्यम से अपनी जन्मभूमि श्रीमाधोपुर को भावपूर्ण तरीके से याद किया गया है।
ओ मेरे श्रीमाधोपुर कविता के बोल - Lyrics of O Mere ShriMadhopur Poem
कहते हैं... कुछ शहर छोड़ने से नहीं छूटते... वो साँसों में बस जाते हैं...
ऐसा ही एक शहर है ...
वो चौपड़ का चौक, वो गलियाँ सँकरी,
जहाँ हर मोड़ पर मिलती थी हँसी ठिठोली प्यारी।
गढ़ के नीचे बैठकर जो सपने सजाए थे,
आज भी वो यादें आँखों में समाए हैं।
गोपीनाथ मंदिर की आरती की वो रौशनी,
लौटा लाती है दिल की बचपन की वह निशानी।
महावीर दल की शोभा में वो जोश था,
हर दिल में भाईचारे का एक होश था।
ओ मेरे श्रीमाधोपुर, तू घर का दरवाज़ा है,
तेरी मिट्टी की खुशबू अब भी अंदाज़ा है।
तेरे आँगन में गूँजती माँ की पुकार,
तेरे नाम से ही भर आता है प्यार।
खुशाली राम जी ने जब खेजड़ी के तले,
रखा था सपना इस नगर के खुले।
अक्षय तृतीया का वो पावन दिन,
जब इतिहास ने लिखा तेरा जनमदिन।
दरवाजे वाले बालाजी का वो मंदिर प्यारा,
हर आने-जाने वाले का सहारा।
कायथवाल बावड़ी की मीठी सी धार,
आज भी सुनाए वो बीते सालों का प्यार।
ओ मेरे श्रीमाधोपुर, तू जयपुर की झलक,
तेरे नक्शे में है अपनापन का चमक।
पंसारी की हवेली, रघुनाथ का द्वार,
हर कोने में बसा है इक संस्कार।
ब्रह्मचारी बाबा के आश्रम की वो शांति,
हर मन में भर देती है एक दिव्यता की भ्रांति।
शिवालय के पीछे वो खेजड़ी खड़ी,
ढाई सौ सालों की कहानी बड़ी।
वो वृक्ष ना सिर्फ़ पेड़ है, एक गवाह है,
हर पीढ़ी के वादों की, हर चाह है।
तेरी धूल में इतिहास का श्रृंगार है,
ओ श्रीमाधोपुर, तू तो भगवान का प्यार है।
ओ मेरे श्रीमाधोपुर, तू यादों का नगर,
तेरे बिना अधूरा है हर सफर।
तू माँ के आँचल सा सुकून भरा,
तेरे नाम से ही भर आता है घर।
“श्रीमाधोपुर... ओ श्रीमाधोपुर...”
ओ मेरे श्रीमाधोपुर कविता का वीडियो - Video of O Mere ShriMadhopur Poem
अस्वीकरण (Disclaimer):
इस कविता की समस्त रचनात्मक सामग्री रमेश शर्मा की मौलिक रचना है। कविता में व्यक्त विचार, भावनाएँ और दृष्टिकोण लेखक के स्वयं के हैं। इस रचना की किसी भी प्रकार की नकल, पुनर्प्रकाशन या व्यावसायिक उपयोग लेखक की लिखित अनुमति के बिना वर्जित है।
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Poetry
