वो सुबह कभी तो आएगी कविता - Woh Subah Kabhi To Aayegi Poem

Woh Subah Kabhi To Aayegi Poem, इसमें वो सुबह कभी तो आएगी नामक शीर्षक से एक कविता है जिसमें इंसान के जीवन के संघर्ष और उम्मीद के बीच कशमकश को बताया है।

Woh Subah Kabhi To Aayegi Poem

वो सुबह कभी तो आएगी कविता के बोल - Lyrics of Woh Subah Kabhi To Aayegi Poem


कुछ लोग सपने बड़े संजोते हैं
फिर मय्यत उनकी ढोते हैं
सबके ताने सहते हैं
पर चुप ही रहते हैं।

सबको मनमौजी दिखते हैं
प्यार की कौड़ी में बिकते हैं
सनकी भी समझे जाते हैं 
पर दिल में सब पी जाते हैं।

गम को गले लगाते हैं
तनहाई में आँसू बहाते हैं
भगवान से ये कहते हैं
हम दुनिया में क्यों रहते हैं।

क्यों सब हमको ठुकराते हैं
क्यों गले नहीं लगाते हैं
क्यों अनदेखे रह जाते हैं
क्यों प्यार नहीं हम पाते हैं।

सपने दिन रात सताते हैं
तनहाई गले लगाते हैं
जिससे भी बतियाते हैं
वो समझ हमें नहीं पाते हैं।

कहने को सब का साथ है
सर पे सभी का हाथ है
फिर ऐसी क्या बात है
जो हर रात अमावस की रात है।

जिस काम में हाथ डालते हैं
उसका जनाजा निकालते हैं
मेहनत पूरी करते हैं
पर केवल हाथ मलते हैं।

असफल होना कर्मों का फल लगता है
शायद, इसलिए कुछ भी नहीं फलता है
मन घुट-घुट कर, तिल-तिल कर, मरता है
पर अनजानी उम्मीद में जीवन चलता है।


अब जीवन का वो मुकाम आ गया
जहाँ लोगों के जीवन में खुशी है
पर हमारे जीवन में
छाई आज भी खामोशी है।

बढ़ती खामोशी धीरे धीरे निराशा लाती है
जीवन किस काम का, यही बात सिखाती है
छोड़ दे ये असफल जीवन और सभी सुनहरे सपने
लेकिन आँखों के आगे घूम जाते हैं कुछ चेहरे अपने।

इन चेहरों की अंसुवन भरी नजरे डोलती हैं
टकटकी लगाकर डबडबाई आँखें ये बोलती हैं
क्या होगा हमारा, हम कैसे रह पाएँगे
दुनिया बेरहम है, हम कैसे जी पाएँगे।

ये चेहरे ही जीवन बचाते हैं
मरे हुए विश्वास को फिर से जगाते हैं
उम्मीद की सुनहरी किरण फिर से दिखाते हैं
मायूसी के अंधकार में जीवन का मकसद बताते है।

जीवन पर हमारा हक नहीं, ये ईश्वर की नेमत है
इसका चलते रहना ही खुदा की इबादत है
जिस दिन इस इबादत का अंत अपने आप होगा
केवल उस दिन ही आत्मा का परमात्मा से मिलाप होगा।

सफलता, असफलता और भाग्य, उस ईश्वर के हाथों में है
बिना फल के कर्म करने का ज्ञान, हमेशा उसकी बातों में है
आज से जीवन को ईश्वर की अमानत समझकर जीना है
दुख रूपी जहर को, नीलकंठ बनकर खुशी खुशी पीना है।

जीवन अनमोल है यह अब हमने ठान लिया
नियति को स्वीकार कर इसको अपना मान लिया
चाहे कुछ भी हो जाए फिर से नई शुरुआत करनी है
वो सुबह कभी तो आएगी, गम की रात भी ढलनी है
वो सुबह कभी तो आएगी, गम की रात भी ढलनी है।

वो सुबह कभी तो आएगी कविता का वीडियो - Video of Woh Subah Kabhi To Aayegi Poem



अस्वीकरण (Disclaimer):

इस कविता की समस्त रचनात्मक सामग्री रमेश शर्मा की मौलिक रचना है। कविता में व्यक्त विचार, भावनाएँ और दृष्टिकोण लेखक के स्वयं के हैं। इस रचना की किसी भी प्रकार की नकल, पुनर्प्रकाशन या व्यावसायिक उपयोग लेखक की लिखित अनुमति के बिना वर्जित है।
Ramesh Sharma

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील, हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। इसके साथ मुझे अलग-अलग एरिया के लोगों से मिलकर उनके जीवन, रहन-सहन, खान-पान, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानना भी अच्छा लगता है। साथ ही मैं कई विषयों के ऊपर कविताएँ भी लिखने का शौकीन हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख

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