O Jaipur Poem, इसमें ओ जयपुर नामक शीर्षक की कविता के माध्यम से राजस्थान की राजधानी जयपुर के इतिहास और गौरव को भावपूर्ण तरीके से याद किया गया है।
ओ जयपुर कविता के बोल - Lyrics of O Jaipur Poem
गंगापोल की मिट्टी में पहली साँस पाई
जैपर था नाम, जब धड़कन जग में आई
सतरा सौ सत्ताईस में, सपनों का दीप जलाया
महाराजा सवाई जय सिंह ने एक शहर बसाया
वास्तु की लकीरों में नौ ग्रहों का विज्ञान
नौ चौकड़ियों में रचा जयपुर महान
विद्याधर की कलम ने जब सपनों को सजाया
गुलाबी रंग दुनिया को यहाँ खींच लाया।
ओ जयपुर… तू इतिहास की ज़ुबानी
तेरे हर मोड़ पर एक नई कहानी
ओ जयपुर… तू दिल का सामना
प्यार की खुशबू, रूह का ठिकाना
ओ जयपुर… तू सिर्फ शहर नहीं, पहचान है
धरती की धड़कन, संस्कृति की जान है।
सूरज के सात घोड़ों सी तेरी चाल,
सात दरवाजों वाला तेरा शाही हाल
चहारदीवारी की ये ऊँची निगाहें
शहर को संभाले जैसे माँ की बाहें
कभी इन्हीं दीवारों पे लगते थे पहरे
आज भी मौजूद हैं गुमनाम अंधेरे।
ओ जयपुर… तू धड़कन राजस्थान की
तेरी हर सांस में कहानी वीरों की
ओ जयपुर… तू रंग है परंपरा का
तू गीत है वीरों की धरा का
ओ जयपुर, तेरी शान निराली
इतिहास की रागिनी, तेरी धुन मतवाली।
आराध्य देव गोविंद का आसरा
हर भक्त के मन में उजियारा भरा
हवा महल कृष्ण मुकुट सा चमकता
हर झरोखे से इतिहास मुस्कराता
आमेर, जयगढ़, नाहरगढ़ की शान
राजपूताना वीरता का अभिमान
सरगासूली का दीप राह दिखाए
रात के अंधेरों में उम्मीद जगाए
दुनिया का पहला कल्कि मंदिर बना
जयपुर को छोटी काशी का दर्जा मिला।
ओ जयपुर… तेरी गलियों में साँस लेता समय
हर पत्थर कहता इसमें बसता हूँ मैं
ओ जयपुर… तू रूह का सच्चा साथी
इतिहास का दीया, हम तेरी बाती
तेरे बिना अधूरी हमारी पहचान
ओ जयपुर, तू मेरा.... अरमान।
जंतर मंतर, सितारों का मीत पुराना
विज्ञान और भगवान का साथ सुहाना
यूनेस्को ने भी मानी इसकी महानता
सवाई जयसिंह के कौशल की क्षमता
यहाँ आकाश से बातें करती धूप की रेखा
समय की धुन पर नाचता देखा-अनदेखा।
ओ जयपुर… तू मेरा मान, मेरी पहचान
तेरी हर गली जैसे नया वरदान
ओ जयपुर… तू धड़कन भारत की
तेरी हवाओं में खुशबू धरोहर की
ओ जयपुर, तेरा रूप प्यारा
तू ही मेरा घर, तू ही सहारा।
रामगंज के बरामदों ने संभाली थी राह
मेहंदी चौक हुआ था इसका पहला गवाह
जब रामसिंह ने इसे गुलाबी रंग से सजाया
तब यह दुनिया में पिंकसिटी कहलाया।
ओ जयपुर… तू हर दिल की धड़कन
तेरे रंगों में बसता अपनापन
तेरी सुबहें इतिहास की महक
तेरी रातें संस्कृति की चमक
सुनते ही तेरे नाम की पुकार
दिल कह उठता बार-बार
जयपुर सिर्फ शहर नहीं
मेरी रूह का घर, मेरी पहचान
मेरी जान, मेरा अभिमान
मेरी जान, मेरा अभिमान
ओ जयपुर कविता का वीडियो - Video of O Jaipur Poem
अस्वीकरण (Disclaimer):
इस कविता की समस्त रचनात्मक सामग्री रमेश शर्मा की मौलिक रचना है। कविता में व्यक्त विचार, भावनाएँ और दृष्टिकोण लेखक के स्वयं के हैं। इस रचना की किसी भी प्रकार की नकल, पुनर्प्रकाशन या व्यावसायिक उपयोग लेखक की लिखित अनुमति के बिना वर्जित है।
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Poetry
