सोशल मीडिया के सिपाही कविता - Social Media Ke Sipahi Poem

Social Media Ke Sipahi Poem, इसमें सोशल मीडिया के सिपाही नामक कविता के माध्यम से अलग अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आभासी देशभक्तों की जानकारी है।

Social Media Ke Sipahi Poem

सोशल मीडिया के सिपाही कविता के बोल - Lyrics of Social Media Ke Sipahi Poem


जब से सोशल मीडिया आया है
फेसबुक व्हाट्सएप और ट्विटर का बुखार
सभी तरफ छाया है
नशा इस कदर बढ़ गया है
नफरत का जहर हर तरफ फैल गया है
जीवन की आपाधापी में
एक दौड़ सी लगी रहती है
हर मसला सोशल मीडिया पर सुलझाने के लिए
एक होड़ सी लगी रहती है।

अगर बात देशभक्ति की हो तो
हर कोई भगत सिंह बनकर
शब्दों का असला लेकर
सोशल मीडिया के परिसर में
धमाके कर अपनी देशभक्ति साबित करता है
फर्क इतना है कि
भगत सिंह आजादी के लिए
सूली पर चढ़ गए थे
और ये सोशल मीडिया के क्रांतिकारी
घर में बैठे-बैठे
चाय कॉफी की चुस्कियों के साथ
वक्त की नजाकत को समझते हुए
क्रान्ति को अंजाम देते हैं।

जब कोई आतंकवादी हमला होता है तो
आवाम के अघोषित प्रतिनिधि बनकर
पाकिस्तान को नेस्तनाबूद करने के लिए
रात-दिन सोशल मीडिया पर
पोस्ट लिखते हैं
जो इनके विचारों से सहमत नहीं हो
उसे गद्दार और देशद्रोही बताकर
तुरंत पाकिस्तान भेजते हैं।

इन्हें गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार,
महंगाई, बिजली, पानी आदि से
कोई मतलब नहीं है
इन्हें शहीदों के परिवार को मिलने वाली
उस सहायता से भी कोई मतलब नहीं है
जो किसी सरकार ने शहीद होने पर
उस परिवार के लिए घोषित की थी
इन्हें सरकारी सहायता के लिए
भटकती शहीद की वीरांगना, अबोध बच्चों और माँ की
उन अश्रुपूरित आँखों से भी कोई मतलब नहीं है
जो अपने पति, पिता और पुत्र को खोने के बाद
सम्मान की उम्मीद में तकती है।

खुफिया विभाग द्वारा
आतंकवादी हमले के अंदेशे के पश्चात भी
ये सत्ता को उसके उस नाकारापन के लिए
कभी नहीं कोसते हैं
जिसकी वजह से आतंकवादी हमला हो जाता है
ये अपने आप को सैनिकों का शुभचिंतक बताकर
सिर्फ ढिंढोरा पीटते हैं
और सैनिकों को घटिया खाना मिलने पर भी
सत्ता के खिलाफ नहीं बोलते हैं।


शायद ये अपनी देशभक्ति को
अपने फायदे के तराजू में तौलते हैं
तभी तो ये ज्यादातर समय
सिर्फ अपने फायदे के लिए मुँह खोलते हैं
सोशल मीडिया के इन कथित सिपाहियों में
अमूमन वो लोग ज्यादा होते हैं
जो सक्षम तथा अच्छे ओहदों पर होते हैं
जिनके घरों से शायद एक भी सैनिक नहीं निकलता है
ये क्या जाने जब कोई सैनिक मरता है
तो कई दिनों तक उसके घर में चूल्हा नहीं जलता है।

इनके हिसाब से असली युद्ध भी
सोशल मीडिया की पोस्टों की तरह लड़ा जाता है
परन्तु ये नहीं जानते हैं कि
बार्डर पर जब एक जिंदगी जंग लड़ती है
तब उसके पीछे कई जिंदगियाँ
रातों को जाग-जागकर भगवान से
उसकी सलामती की दुआ करती हैं।

सरकारी अवार्ड लौटाने वालों को लताड़कर
कलाकारों को फिल्मों से निकलवाकर
कभी मंदिर-मस्जिद
कभी हिन्दू-मुस्लिम
कभी कश्मीर को लेकर
किसी को भी, कभी भी
देशद्रोही का तमगा तुरंत देकर
अपनी चपलता का परिचय देते रहते हैं।

गाली-गलौच और अपशब्द हैं इनके प्रमुख हथियार
जिनसे ये अपने सभी विरोधियों पर करते हैं वार
किसी को पप्पू, किसी को गाली
किसी को खुजली बताकर, बजाते हैं ताली
हर वो शख्स जो सत्ता के विरोध में बोलता है
इनके द्वारा देशद्रोही कहलाकर
इनके कहर को झेलता है
ऐसा लगता है कि ये
विपक्ष विहीन भारत चाहते हैं
तभी तो किसी न किसी मुद्दे पर
स्वघोषित नृप द्वारा आयोजित
अश्वमेध यज्ञ के अश्व को घुमाते है।

आधुनिक नृप भी
सोशल मीडिया की ताकत से वाकिफ है
तभी तो अश्वमेध की सफलता के लिए
सेनानायकों को सौंपी जिम्मेदारी है
सेनानायक चौबीसों घंटे
रणनीतिक तैयारियों के तहत
चाणक्य के उपाय-चतुष्ठय को अपनाकर
नए-नए मैसेज और पोस्ट रचकर
सोशल मीडिया पर अश्वमेध की
सफलता सुनिश्चित करते हैं
नृप और उसके सेवक, काफी चतुर और सजग है
जो खुद सेनानायकों को फॉलो कर
पल-पल की रणनीति और तैयारियों पर नजर रखते हैं।

मार्केटिंग की ताकत से
मिट्टी को सोना बनाकर बेचा जा सकता है
भारतीय बहुत भावुक होते हैं इसलिए
भावनाओं से खेलकर सत्ता तक
फिर से पहुँचा जा सकता है
मार्केटिंग के सभी हुनर अपनाकर
अपनी जयकार करवाओ
हिन्दू शेर की उपाधि के साथ फिर से सत्ता पाओ।

सोशल मीडिया के सिपाही कविता का वीडियो - Video of Social Media Ke Sipahi Poem



अस्वीकरण (Disclaimer):

इस कविता की समस्त रचनात्मक सामग्री रमेश शर्मा की मौलिक रचना है। कविता में व्यक्त विचार, भावनाएँ और दृष्टिकोण लेखक के स्वयं के हैं। इस रचना की किसी भी प्रकार की नकल, पुनर्प्रकाशन या व्यावसायिक उपयोग लेखक की लिखित अनुमति के बिना वर्जित है।
Ramesh Sharma

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील, हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। इसके साथ मुझे अलग-अलग एरिया के लोगों से मिलकर उनके जीवन, रहन-सहन, खान-पान, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानना भी अच्छा लगता है। साथ ही मैं कई विषयों के ऊपर कविताएँ भी लिखने का शौकीन हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख

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