यहाँ आज भी होती है जलघड़ी के समय से पूजा - Jal Ghadi in Kesariyaji Mandir, इसमें केसरियाजी ऋषभदेव मंदिर की प्रसिद्ध जल घड़ी के बारे में जानकारी दी गई है।
केसरियाजी के मंदिर में पूजा का समय प्राचीनकाल की एक विशेष घड़ी द्वारा निर्धारित किया जाता है। इस घड़ी को जल घड़ी कहा जाता है।
यह जल घड़ी मंदिर के पहले दरवाजे में घुसते समय लेफ्ट साइड में एक लकड़ी के बॉक्स में रखी हुई है। इस बॉक्स में तांबे के एक भगोने में पानी भरकर रखा जाता है। इस भगोने में तांबे का एक कटोरा रखा जाता है जिसके नीचे एक छेद होता है।
धीरे-धीरे इस कटोरे में पानी भरने लग जाता है और 24 मिनट में यह कटोरा पानी में पूरी तरह डूब जाता है। जैसे ही कटोरा पानी में डूबता है, गार्ड मंदिर में समय की सूचना दे देता है।
पुराने समय में 24 मिनट के समय को एक घड़ी, 8 घड़ियों का एक प्रहर और 4 प्रहर का एक दिन माना जाता था। इस तरह 24 घंटे यानी एक दिन में 8 प्रहर होते थे।
इस जल घटी के समय की अगर हम आज के समय की घड़ी से तुलना करें तो इन दोनों के समय में 45 मिनट का अंतर होता है।
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
डिस्क्लेमर (Disclaimer)
इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
Tags:
Tourism-Short