उदयपुर की लाइफ लाइन है फतहसागर झील - Fatehsagar Lake, इसमें झीलों की नगरी उदयपुर की लाइफ लाइन कहे जाने वाली फतहसागर झील के बारे में जानकारी दी गई है।
उदयपुर की झीलें अपनी प्राकृतिक सुंदरता और इतिहास के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं। इन झीलों में सबसे मुख्य झील का नाम है फतेहसागर झील जिसे उदयपुर शहर की लाइफ लाइन कहा जाता है।
नाशपाती के आकार की यह झील काफी सुंदर है। तीन तरफ से अरावली की पहाड़ियों से घिरी फतहसागर झील मानव निर्मित है। झील की पूर्वी दिशा में इस पर पत्थर का बाँध बना हुआ है।
लगभग 4 वर्ग किलोमीटर एरिया में फैली इस झील की लंबाई ढाई किलोमीटर और चौड़ाई डेढ़ किलोमीटर है। झील की भराव क्षमता 13 फीट है।
झील में मुख्य रूप से पिछोला और मदार नहर के जरिए पानी आता है। पिछोला से आने वाला पानी स्वरूप सागर लेक से लिंक नहर के जरिए आता है।
बारिश के मौसम में जब यह झील ओवरफ्लो हो जाती है तब इसका पानी एक झरने के रूप में नीचे गिरता हुआ आयड़ नदी में चला जाता है। यह गिरता हुआ पानी बड़ा शानदार लगता है जिसे देखने के लिए हर कोई खिंचा चला आता है।
आम दिनों में झील पर सूर्योदय और सूर्यास्त का मनमोहक नजारा होता है। शांति और सुकून की तलाश में लोग देर रात तक झील की पाल पर बैठे रहते हैं। झील का मुंबइया बाजार अपनी रौनक और फास्ट फूड के लिए काफी प्रसिद्ध है।
झील का सबसे मुख्य आकर्षण इसमें होने वाली बोटिंग है। झील में हाई स्पीड बोटिंग के साथ नॉर्मल बोटिंग का मजा लिया जा सकता है।
झील में तीन टापू बने हुए हैं जिनमें एक पर नेहरू गार्डन बना हुआ है। साढ़े चार एकड़ एरिया में फैले इस गार्डन में तालाब, फूलों का बगीचा और फव्वारों के साथ बोट के आकार का रेस्टोरेंट है।
गार्डन में म्यूजिकल फाउंटेन, ओपन थियेटर, वाटर शो जैसी कई ऐक्टिविटीज शुरू करने की योजना है। नेहरू गार्डन का उद्घाटन 1967 में हुआ था और इसे 1980 में पर्यटकों के घूमने फिरने के लिए खोला गया।
इस गार्डन तक जाने के लिए रानी रोड़ पर राजीव गाँधी पार्क के पास से बोट शुरू की जाएगी। आपको बता दें कि अभी तक बोटिंग का संचालन मोती मगरी के पास से हो रहा था।
झील के दूसरे टापू पर गार्डन और फव्वारे हैं। तीसरे टापू पर उदयपुर सौर वेधशाला है, जो एशिया की बेहतरीन वेधशालाओं में से एक है। इस वेधशाला को 1975 में बनाया गया था।
झील के पास में 2017 में शुरू किया गया अंडर द सन एक्वेरियम है जहाँ कई प्रजातियों की मछलियाँ हैं। झील के पास वाली मोती मगरी पहाड़ी पर महाराणा प्रताप स्मारक है।
रानी रोड़ की तरफ झील के किनारे पर महाकालेश्वर मंदिर है जहाँ पर कभी गुरु गोरखनाथ ने पूजा अर्चना की थी।
झील के इतिहास की अगर बात करें तो इसे 1687 ईस्वी में महाराणा जय सिंह ने मिट्टी के बाँध के साथ बनवाया था। यह मिट्टी का बाँध लगभग 200 साल के बाद यानी 1888 में आई बाढ़ के कारण टूट गया।
1889 में महाराणा फतेह सिंह ने इसे कनॉट डैम के रूप में दोबारा बनवाया जिसकी नींव इंग्लैंछ की महारानी विक्टोरिया के बेटे कनॉट के ड्यूक (ड्यूक ऑफ कॉनॉट) ने रखी।
बाँध की वजह से यह झील पहले से ज्यादा बड़ी और सुंदर हो गई। धीरे-धीरे यह झील महाराणा फतेह सिंह के नाम से फतह सागर के रूप में प्रसिद्ध हो गई।
आज फतेहसागर झील उदयपुर की शान है। यह सिर्फ एक झील नहीं, बल्कि प्रकृति और इतिहास का अनोखा संगम है। अगली बार आप जब उदयपुर आएँ, तो इस खूबसूरत जगह को जरूर देखें।
फतेहसागर झील की मैप लोकेशन - Map location of Fatehsagar Lake
फतेहसागर झील का वीडियो - Video of Fatehsagar Lake
डिस्क्लेमर (Disclaimer)
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