कहाँ है वो लड़की कविता - Kahan Hai Woh Ladki Poem

Kahan Hai Woh Ladki Poem, इसमें कहाँ है वो लड़की कविता के माध्यम से एक अजनबी कल्पित लड़की के लिए मन में उठने वाली भावनाओं के बारे में जानकारी दी गई है।

Kahan Hai Woh Ladki Poem

कहाँ है वो लड़की कविता के बोल - Lyrics of Kahan Hai Woh Ladki Poem


कहाँ है वो लड़की?
जिसे ढ़ूँढ़ने को दिल चाहता है
जिसका दीदार करने की हसरत रहती है
जिससे बात करने का दिल करता है
जिससे मिलने को दिल मचलता है।

कहाँ है वो लड़की?
जिसे दिल का हाल बताऊँ
जिसे प्यार की कविता सुनाऊँ
जिसे दिल चीरकर दिखाऊँ
जिसके साथ प्रेम बंधन में बँध जाऊँ।

कहाँ है वो लड़की?
जिसके आने की खबर फिजा दे देती है
जिसके आने से खिजा चली जाती है
जिसके आने से माहौल खुशनुमा हो जाता है
जिसके जाने पर फूल मुरझा जाते है।

कहाँ है वो लड़की?
जिसकी पावनता ओस की बूंदों सी है
जिसकी कोमलता तितलियों के माफिक है
जिसकी अल्हड़ता उड़ते पंछियों जैसी है
जिसका शर्मीलापन छुईमुई बन जाता है।


कहाँ है वो लड़की?
जो भोली भाली नादान सी है
जो मासूमियत की पहचान सी है
जिसकी देवी जैसी सूरत सी है
जो मेरे मन मंदिर की मूरत सी है।

कहाँ है वो लड़की?
जिसके पल भर के साथ में कायनात की खुशी है
जिसके साथ को दिल हमेशा तड़पता रहता है
जो दिन रात मेरी कल्पनाओं में रहती है
जिसे हर जगह दिल ढ़ूँढ़ता रहता है।

कहाँ है वो लड़की?
जिसके साथ कहीं दूर किसी जजीरे पर जाने का दिल करता है
वहाँ नेचर के साथ उसकी ब्यूटी को तोलने का मन करता है
उसके साथ सनसेट के सूरज को देखने का दिल करता है
जजीरे के सभी पेड़ों पर उसका नाम लिख देने को दिल करता है।

कहाँ है वो लड़की?
जिसके साथ तनहा किसी बर्फीले पहाड़ पर जाने का मन करता है
पहाड़ की ऊँचाई पर उसको मचलते हुए देखने का दिल करता है
जब पहाड़ पर आवारा बादल उसकी जुल्फों से टकरा कर छेड़ने लगे
तब उन आवारा बादलों को अपने हाथों से बिखेरने का मन करता है।

कहाँ है वो लड़की?
जिसके साथ समुन्दर में जहाज पर जाने का दिल करता है
समुन्दर में उसे इठलाते हुए देखने को दिल तरसता है
जब घनघोर घटा आकाश में उमड़ घुमड़ कर छा जाये
तब बारिश में उसके साथ भीगने को दिल करता है।

कहाँ है वो लड़की?
जिसको देखकर ये लगने लगे
शायद हम दोनों जनम जनम के साथी हैं
प्यार की आग में जलकर रोशनी देने वाले
हम दोनों ही वो दीया और बाती हैं।

कहाँ है वो लड़की कविता का वीडियो - Video of Kahan Hai Woh Ladki Poem



अस्वीकरण (Disclaimer):

इस कविता की समस्त रचनात्मक सामग्री रमेश शर्मा की मौलिक रचना है। कविता में व्यक्त विचार, भावनाएँ और दृष्टिकोण लेखक के स्वयं के हैं। इस रचना की किसी भी प्रकार की नकल, पुनर्प्रकाशन या व्यावसायिक उपयोग लेखक की लिखित अनुमति के बिना वर्जित है।
Ramesh Sharma

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील, हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। इसके साथ मुझे अलग-अलग एरिया के लोगों से मिलकर उनके जीवन, रहन-सहन, खान-पान, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानना भी अच्छा लगता है। साथ ही मैं कई विषयों के ऊपर कविताएँ भी लिखने का शौकीन हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख

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