SMPR City Poem, इसमें एसएमपीआर सिटी नामक शीर्षक की कविता के माध्यम से अपनी जन्मभूमि श्रीमाधोपुर यानी SMPR City को भावपूर्ण तरीके से याद किया गया है।
एसएमपीआर सिटी कविता के बोल - Lyrics of SMPR City Poem
मेरी गलियों में बचपन के सपनों की खुशबू है
हर मोड़ पर अपनों की यादों का दरिया बहता है
यहाँ हवाओं में बसता है अपनापन हर पल
SMPR City मेरा घर है, मेरा दिल है ये हलचल।
ओ री… SMPR City, तू ही मेरी सच्ची प्रीत
तेरी मिट्टी में ही बसती है मेरी हर एक जीत
जहाँ जाऊँ, लौटकर आऊँ तेरी बाहों में ही
तू ही मेरी मंज़िल, तू ही मेरी राहों में ही।
कच्चे घरों की दीवारों पर पुरानी कहानियाँ
बाज़ारों की रौनक में बसती हैं मुस्कानें अनोखियाँ
मंदिरों की घंटियों की स्वर लहरियाँ जो गूंजें
मन को छू जाएँ ऐसे जैसे कोई दुआ आँसू पूँछे।
यह शहर नहीं, एक एहसास है गहरा
दूर रहकर भी लगता है बस पास ही ठहरा
SMPR City… तू धड़कन है, तू ही मेरा संसार
तेरी मिट्टी में मिलकर खिलता है मेरा हर बहार।
कभी छतों पर बैठकर चाँद रातों को निहारा
दोस्तों संग हँसते-हँसते पूरा मोहल्ला पुकारा
आज भी यादों में सब वैसा ही ताज़ा है
SMPR City तू ही मेरा दिल का साहिल साज़ा है।
जितना तुझसे दूर जाऊँ, उतना पास खींच लाए
तेरा नाम लेते ही मन में उजाला जगमगाए
SMPR City… तू ही मेरी पहचान सदा
तू रहेगा दिल में, जब तक धड़के ये धड़कन मेरा।
SMPR City… तू ही मेरी पहचान सदा
SMPR City… तू ही मेरी पहचान सदा
SMPR City… तू ही मेरी पहचान सदा
एसएमपीआर सिटी कविता का वीडियो - Video of SMPR City Poem
अस्वीकरण (Disclaimer):
इस कविता की समस्त रचनात्मक सामग्री रमेश शर्मा की मौलिक रचना है। कविता में व्यक्त विचार, भावनाएँ और दृष्टिकोण लेखक के स्वयं के हैं। इस रचना की किसी भी प्रकार की नकल, पुनर्प्रकाशन या व्यावसायिक उपयोग लेखक की लिखित अनुमति के बिना वर्जित है।
Tags:
Poetry
